कुछ दिनों में एक ही विषय दिखाई देता है l हाल ही में मेरा एक दिन ऐसा ही था l हमारे पासवान ने विस्मयकारी, दो मिनट के अन्तराल में खिलते फूलों की फोटोग्राफी के साथ  उत्पत्ति पर अपना उपदेश आरंभ किया l तब, घर में, सोशल मीडिया की सूची में फूलों के अनेक चित्र दिखाई दिए l बाद में जंगल में घूमते समय, बसंत के जंगली फूल से हम घिरे थे-लाखों में जंगली गेंदे और आईरिस l

सृष्टि के तीसरे दिन परमेश्वर ने फूल और हर दूसरे प्रकार की वनस्पति (और सुखी भूमि जिसमें वे पैदा हो सकें) बनाए l और उस दिन दूसरी बार, परमेश्वर ने उन्हें “अच्छा” कहा (उत्पत्ति 1:10, 12) l केवल सृष्टि के छठवें दिन, परमेश्वर ने दो बार “अच्छा” कहा (पद.24,31) l वास्तव में, इस दिन जब उसने मनुष्य को रचा और उसकी श्रेष्ठकृति पूरी हो गई, उसने अपने द्वारा रचित सभी वस्तुओं को देखा “कि वह बहुत ही अच्छा है!”

सृष्टि की कहानी में, हम एक ऐसा सृष्टिकर्ता देखते हैं जो अपनी सृष्टि में आनंद लेता है-और सृष्टि करने में आनंदित दिखाई देता है l अन्यथा ऐसा रंगीन और अद्भुत विविधता वाला संसार क्यों बनाया जाए? और उसने सर्वोत्तम को अंत के लिए रखा जब उसने “मनुष्य को अपने स्वरुप के अनुसार उत्पन्न किया” (पद.27) l उसकी छविवाले होने के कारण हम उसकी खूबसूरत हस्तकला द्वारा आशीषित और प्रेरित हैं l