पिछले बसंत में मैं अपने घर के पीछे. दरवाजे के निकट गुलाब के पौधे को काट डालना चाहा l पिछले तीन वर्षों तक वह खिला नहीं था और उसकी बदसूरत फलहीन टहनियाँ चारों ओर फ़ैल रहीं थीं l

जीवन की व्यस्तता में बागवानी विलंबित हो गई l कुछ सप्ताह बाद गुलाब का वह पौधा फूलों से भर गया l सैकड़ों बड़े-बड़े सफ़ेद खुशबुदार गुलाब, मेरे दरवाजे के ऊपर लटके हुए थे, और मेरे आँगन में खुबसूरत पंखुड़ियां बिखरी हुई थीं l

मेरे गुलाब के पौधे के पुनर्जीवन ने लूका 13:6-9 में अंजीर के पेड़ के विषय यीशु का दृष्टान्त याद दिलाया l इस्राएली अंजीर के पेड़ को फल उत्पन्न करने के लिए तीन वर्ष देते थे l  फलहीन होने पर उन्हें काट दिया जाता था कि भूमि का उपयोग हो सके l यीशु की कहानी में, माली ने स्वामी से एक ख़ास पेड़ के फलवंत होने के लिए चौथा वर्ष माँगा l सन्दर्भ में, (पद.1-5), अर्थ यह है : इस्राएलियों ने गलत जीवन जीया था, और परमेश्वर उनका न्याय कर सकता था l किन्तु परमेश्वर ने धीरज रखकर उनको उसकी ओर मुड़कर, क्षमा प्राप्त करने और फलने का अतिरिक्त समय दिया l

परमेश्वर चाहता है कि सब फलवंत हों और उसने अतिरिक्त समय दिया है l चाहे हम अभी भी विश्वास की ओर बढ़ रहें हैं अथबा अविश्वासी परिजनों और मित्रों के लिए प्रार्थना कर रहें हैं, उसका धीरज हम सब के लिए शुभसमाचार है l