Month: अगस्त 2017

परमेश्वर की चमकदार सुन्दरता

ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के निकट लार्ड हॉवे द्वीप सफ़ेद रेत और अत्यधिक साफ़ जल का एक छोटा स्वर्ग है l कुछ वर्ष पहले जब मैं वहाँ गया था, तो वहां की खूबसूरती से चकित हुआ l यहाँ पर, कोई भी व्यक्ति बड़े कछुओं और मछलियों के संग झिलमिलाते जल में बिना किसी मेहनत के तैर सकता है, और विशेष प्रजाति की समुद्री मछलियाँ भी अपने रंग बिखेरती हुईं निकट तैरती होती हैं l उस झील में मैंने मूंगा-चट्टानों के बीच चमकदार नारंगी रंग की और ख़ास प्रजाति की मछलियाँ देखीं जो मेरे हाथों को छूना चाहती थीं l इस खूबसूरती से अभिभूत होकर मैं परमेश्वर की प्रशंसा करने के लिए विवश हुआ l

प्रेरित पौलुस मेरे प्रतिउत्तर के लिए कारण देता है l सृष्टि अपनी सबसे खूबसूरत अवस्था में परमेश्वर के स्वभाव की कुछ बातें प्रगट करती है (रोमी,1:20) l लार्ड हॉवे द्वीप ने मुझे परमेश्वर की सामर्थ्य और खूबसूरती की झलक दे रही थी l

जब परमेश्वर से नबी यहेजकेल का सामना हुआ, उसे एक प्रकाशमान व्यक्ति दिखाई दिया जो नीलम से बने सिंहासन पर बैठा था और वह सिंहासन सुहावने रंगों से घिरा हुआ था (यहेज. 1:25-28) l प्रेरित यूहन्ना को भी उसी प्रकार दिखाई दिया : परमेश्वर कीमती पत्थरों की तरह चमक रहा है, और मरकत-सा एक मेघ धनुष उसके चारों ओर है (प्रका.4:2-3) l जब परमेश्वर खुद को प्रगट करता है, वह केवल भला और सामर्थी ही नहीं खूबसूरत  भी दिखायी देता है l जिस तरह एक कलाकृति अपने कलाकार को प्रगट करती है उसी तरह सृष्टि अपने सृष्टिकर्ता को दर्शाती है l

अक्सर परमेश्वर की जगह प्रकृति की उपासना होती है (रोमि. 1:25) l कितनी दुःख की बात है l इसके विपरीत, धरती का स्वच्छ जल और उसमें तैरते जलजन्तु उस सृष्टिकर्ता की ओर संकेत करते है जो संसार के सभी वस्तुओं से कहीं सामर्थी और सुन्दर है l

साफ़ किया गया

जब मैंने बर्तन धोने की अपनी मशीन खोली, मैं उसकी खराबी के विषय सोचने लगी l साफ़ चमकदार बरतनों की जगह, मैंने उसमें से गन्दी थालियाँ और गिलास निकाले l मैं सोचने लगी कि कहीं मेरे इलाके का पानी या बर्तन धोने की मशीन तो खराब नहीं हो गयी है l

परमेश्वर का साफ़ करना, बर्तन धोने की उस ख़राब मशीन से भिन्न है l वह हमारे समस्त अशुद्धताओं को धो देता है l हम यहेजकेल की पुस्तक में पढ़ते हैं कि परमेश्वर अपने लोगों को वापस अपने पास बुलाता है जब यहेजकेल परमेश्वर के प्रेम और क्षमा का सन्देश सुनता है l इस्राएली दूसरे देवताओं और राष्ट्रों के प्रति निष्ठा जताकर परमेश्वर के विरुद्ध पापी ठहरे थे l हालाँकि, परमेश्वर ने करुणा दिखाकर उनको अपने पास बुलाया l उसने उनको उनकी “सारी अशुद्धता  और मूरतों” (36:25) से शुद्ध करने की प्रतिज्ञा की l अपनी आत्मा उनमें डाल कर (पद.27), वह उनको अकाल में नहीं बल्कि फलदायक स्थान में ले जाने वाला था l (पद.30) l

यहेजकेल के दिनों की तरह, वर्तमान में भी जब हम भटक जाते हैं, प्रभु हमें अपने निकट बुलाता है l जब हम अपने को उसकी इच्छा और मार्ग के अधीन कर देते हैं, वह हमारे पापों को धोकर हमें बदल देता है l हमारे अन्दर अपने पवित्र आत्मा द्वारा निवास करते हुए प्रति दिन उसके पीछे चलने में मदद करता है l

अत्यधिक फल

बसंत और गर्मी के मौसम में, मैं अपने पड़ोसी के अहाते में अंगूर के बड़े गुच्छे देखता हूँ जो हम दोनों के आँगन के बीच लगे बाड़े पर लटके होते हैं l बेर और संतरे हमारे पहुँच में होते हैं l

यद्यपि हम न भूमि को जोतते हैं, न बीज बोते हैं, अथवा न बगीचे को सींचते हैं और न उसमें का घास-फूस निकालते हैं, हमारे पड़ोसी हमारे साथ अपनी आशीष बांटते हैं l वे जिम्मेदारी से अपने फसल की देखभाल करते हैं और अपने फसल के एक भाग द्वारा हमें खुश करते हैं l

हमारे पड़ोसी के बगीचे के पेड़ और अंगूर की लताएँ मुझे एक और फसल की याद दिलाते हैं जो मुझे और उन लोगों को फायदा पहुंचाते हैं जो परमेश्वर ने मेरे जीवन में दिए हैं l वह फसल आत्मा का फल है l

मसीह के विश्वासियों को पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से जीवन के फाएदे प्राप्त करने को कहा गया है (गला. 5:16-21) l जब परमेश्वर की सच्चाई के बीज हमारे हृदयों में बढ़ते हैं, पवित्र आत्मा “प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा भलाई, विश्वास, नम्रता, और आत्म-संयम” (पद.22-23) को अधिकाई से प्रगट करने में सहायता करता है l

एक बार जब हम अपने जीवन यीशु को समर्पित कर देते हैं, हमारी आत्म-केन्द्रित इच्छाएँ हम पर नियंत्रण नहीं रख सकतीं हैं (पद.24) l समय के साथ, पवित्र आत्मा हमारी सोच को, हमारे आचरण को, और हमारी आदतों को बदल देता है l जब हम मसीह में बढ़ते और प्रोढ़ होते जाते हैं, हम अपने पड़ोसियों के साथ उसके उदार फसल की आशीषों को बांटकर आनंदित होते हैं l

ध्यान देना

जॉन न्यूटन लिखता है, “यदि, घर जाते समय, एक बच्चे ने एक छोटा सिक्का खो दिया है, और यदि, मैं उसे दूसरा दे देता हूँ, मैं उसके आँसू पोंछ सकता हूँ, मैं अनुभव करता हूँ कि मैंने कुछ किया है l मुझे उससे बड़े काम करने चाहिए, किन्तु मैं यह काम नहीं छोडूंगा l”

इन दिनों में, ऐसे लोगों को ढूँढना सरल है जिन्हें आराम चाहिए l एक किराने की दूकान में एक थका हुआ खजांची जो अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए दो नौकरियाँ करता है; एक शरणार्थी जो घर वापस जाने की लालसा करता है; एक अकेली माँ जिसने अत्यधिक चिंता के कारण सारी आशा खो दी है; एक बूढ़ा व्यक्ति जिसे डर है कि उसने बहुत वर्षों तक बेकारी का जीवन जी लिया है l

किन्तु हमें क्या करना चाहिए? दाऊद ने लिखा, “क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है” (भजन 41:1) l यद्यपि, हम उन लोगों की गरीबी समाप्त नहीं कर सकते हैं जिनसे हमारी मुलाकात होती है हम उनपर विचार  कर सकते हैं अर्थात् उनपर “ध्यान दे सकते हैं l”

हम लोगों को बता सकते हैं कि हम उनकी चिंता करते हैं l हम उनके साथ नम्रता और आदर दिखा सकते हैं यद्यपि उनमें चिड़चिड़ापन अथवा थकान दिखाई देता हो l हम रूचि दिखाकर उनकी कहानी सुन सकते हैं l और हम उनके लिए और उनके साथ प्रार्थना कर सकते हैं जो सबसे अधिक सहायक और चंगा करनेवाला कार्य है l

     यीशु का वह पुराना विरोधोक्ति न भूलें जो उसने हमसे कहा था, “लेने से देना धन्य है” (प्रेरितों 20:35) l ध्यान देना सफल काम है, क्योंकि हम उस समय सबसे खुश होते हैं जब हम खुद को देते हैं l कंगालों पर ध्यान दें l

ईमानदार खोज

प्रत्येक शनिवार हमारा परिवार दौड़ के मैदान के किनारे खड़ा होकर मेरी बेटी को उत्साहित करता है जब वह हाई स्कूल क्षेत्र पार टीम के साथ दौड़ती है l समापन रेखा को पार करने के बाद, सभी धावक फिर से अपने टीम के सदस्यों, कोच और सभी माता-पिता से मिलते हैं l समाप्त करनेवालों के चारों-ओर कभी-कभी तो 300 से भी अधिक लोगों की भीड़ जमा हो जाती है, और इतने लोगों के बीच एक को ढूँढना कठिन होता है l हम ध्यानपूर्वक भीड़ में उसको तब तक ढूंढते हैं जब तक वह मिल नहीं जाती है, और धाविका, हमारी दुलारी बेटी के चारों ओर अपनी बाहें डालते हैं जिसे  हम देखने आए थे l

बेबीलोन में सत्तर वर्षों के बन्धुआई के बाद, परमेश्वर यहूदियों को वापस यरूशलेम और यहूदा ले गया l यशायाह उनके लिए परमेश्वर के आनंद का वर्णन करता है, और उनके घर वापसी की तीर्थयात्रा के लिए राजमार्गों और उनको वापस स्वीकार करने के लिए फाटक के तैयार करने का वर्णन करता है l परमेश्वर अपने पवित्र लोगों के लिए अपनी बुलाहट को दृढ़ करके उनके गौरव को एक नए नाम से पुनःस्थापित करता है, “यहोवा के छुड़ाए हए . . . न-त्यागी हुयी नगरी” (यशा. 62:12) l वह उनको बेबीलोन के अलग-अलग स्थानों से वापस अपने पास लौटा लाया l

इस्राएलियों की तरह, हम भी परमेश्वर की प्रिय संतान हैं, जिसे परमेश्वर ईमानदारी से खोजता है l यद्यपि एक समय हमारे पाप ने हमें उससे दूर कर दिया, यीशु का बलिदान हमें वापस उसके पास ले आता है l वह जी लगाकर हमें दूसरों के बीच खोजता है, और हृदय से गले लगान चाहता है l

साँप और तिपहिया साइकिल

वर्षों से मैंने घाना देश की एक कहानी बार-बार बताई है जब मेरा भाई और मैं छोटे थे l मैं याद करता हूँ कि उसने अपनी लोहे की पुरानी तिपहिया साइकिल एक छोटे नाग सांप के ऊपर खड़ी कर दी थी l तिपहिया साइकिल उस सांप के लिए बहुत भारी थी, जो अगले पहिये के नीचे दबा रहा l

किन्तु मेरी मौसी और मेरी माँ की मृत्यु के बाद, हमें माँ का लिखा हुआ  एक पुराना पत्र मिला जिसमें इस घटना का वर्णन था l वास्तव में, मैंने  सांप के ऊपर साइकिल खड़ी कर दी थी, और मेरा छोटा भाई इसके विषय मेरी माँ से कहने गया था l उन्होंने सचमुच में इस घटना को देखा था और वास्तविक घटना के विषय उनके लिखने से सच्चाई प्रगट हुआ l

इतिहासकार लूका सही शब्दों के महत्त्व को जानता था l उसने समझाया कि “जो पहले ही से इन बातों के देखनेवाले . . .  थे” यीशु की कहानी को हम तक पहुँचाया (लूका 1:2) l उसने थियुफिलुस को लिखा, “उन सब बातों का सम्पूर्ण हाल और आरम्भ से ठीक-ठीक जांच करके, उन्हें तेरे लिए क्रमानुसार लिखूं ताकि तू यह जान ले कि वे बातें जिनकी तू ने शिक्षा पायी है, कैसी अटल हैं” (पद.3-4) l लूका का सुसमाचार परिणाम है l उसके बाद, प्रेरितों के काम की पुस्तक के आरंभ में, लूका यीशु के विषय कहता है, “उसने दुःख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया” (प्रेरितों 1:3) l

हमारा विश्वास अफ़वाह और अभिलाषी सोच पर आधारित नहीं है l वह यीशु के जीवन के लिखित प्रमाणों पर आधारित है, जो परमेश्वर के साथ हमारा मेल कराने आया l उसकी कहानी अटल है l

लालच

2016 की गर्मी में, मेरी भांजी ने मुझे स्मार्ट फोन में फोन के कैमरा द्वारा खेला जानेवाला खेल पोकेमोन गो खेलने को मजबूर किया l इस खेल का लक्ष्य पोकेमोन नामक छोटे प्राणियों को पकड़ना होता है l जो कोई खेल शुरु करता हैं, एक लाल और सफ़ेद बॉल फोन की स्क्रीन पर दिखाई देता है l किसी पोकेमोन के पकड़ने के लिए ऊँगली से बॉल को पोकेमोन की ओर करना होता है l पोकेमोन को, हालाँकि, लालच देकर भी पकड़ा जा सकता है l

केवल पोकेमोन के चरित्रों को ही लालच नहीं दिया जा सकता है l नये नियम में विश्वासियों को लिखते हुए यीशु का भाई, याकूब, हमें याद दिलाता है कि हम “अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर और फँसकर परीक्षा में” पड़ते हैं (1:14, पर महत्व दिया गया है) l अर्थात्, हमारी इच्छाएँ परीक्षाओं के साथ मिलकर हमें गलत मार्ग में जाने की लालच देते हैं l हमारे पास अपनी समस्याओं के लिए परमेश्वर अथवा शैतान को दोषी ठहराने की परीक्षा आ सकती है, किन्तु वास्तविक खतरा हमारे अन्दर है l

किन्तु अच्छा समाचार है l यदि हम हमें परीक्षाओं में ले जानेवाली बातों के विषय परमेश्वर से बातचीत करते हैं हम उनसे बच सकते हैं l यद्यपि, “न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है,” जिस तरह याकूब 1:13 में समझाता है, वह गलत करने की हमारी मानवीय इच्छा समझता है l हमें केवल उस बुद्धि को माँगना है जिसे परमेश्वर ने देने की प्रतिज्ञा की है (1:1-6) l

दूसरों की रूचियाँ

मेरा मित्र जैमी एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय निगम में काम करता है l कंपनी के साथ अपने काम के आरंभिक दिनों में, एक व्यक्ति उसके दफ्तर में आकर बातचीत शुरु करके जैमी से पूछा कि वह वहां क्या करता है l उस व्यक्ति को अपने काम के विषय बताते हुए, जैमी ने उस व्यक्ति से उसका नाम पुछा l “मेरा नाम रिच है,” उसने उत्तर दिया l

“आप से मिलकर ख़ुशी हुई,” जैमी ने उत्तर दिया l “और आप यहाँ क्या करते है?”

“ओ, मैं मालिक हूँ l”

जैमी ने अचानक पहचाना कि आकस्मिक, सरल बातचीत संसार के एक सबसे धनी व्यक्ति के लिए उसका परिचय था l

आज आत्म-प्रशंसा और “खुद” के विषय ख़ुशी मनाने वाली यह छोटी कहानी फिलिप्पियों की पत्री में पौलुस के महत्वपूर्ण शब्दों की ताकीद हो सकती है : विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो” (2:3) l जो लोग अपना ध्यान अपनी ओर न करके दूसरों की ओर करते हैं उनके भीतर पौलुस के बताए हुए गुण हैं l

जब हम “दूसरों को अपने से अच्छा” समझते हैं, हम मसीह की दीनता प्रगट करते हैं (पद.3) l हम मसीह का अनुसरण करते हैं, जो इसलिए नहीं आया कि उसकी “सेवा टहल की जाए”, किन्तु इसलिए कि “आप ही सेवा टहल करे” (मरकुस 10:45) l जब हम “दास का स्वरुप” धारण करते हैं (फ़िलि. 2:7), हममें मसीह का स्वभाव होता है (पद.5) l

आज जब हम दूसरों के साथ बातचीत करते हैं, हम केवल अपने ही हित के नहीं किन्तु “दूसरों के हित की भी चिंता करें” (पद.4) l

हमारा दोष मिट गया

मैंने अपनी युवावस्था में, एक सहेली से निकट के उपहार के दूकान में मेरे साथ चलने को कहा l हालाँकि, उसने मुझे चकित कर दिया l उसने बालों में लगानेवाले कुछ रंगीन क्लिप्स मेरे पॉकेट में डालकर दूकानदार को पैसे दिए बगैर मुझे खींचती हुई बाहर ले आयी l मैं एक सप्ताह तक खुद को दोषी मानती रही इससे पहले कि मैं रोती हुई अपनी माँ के पास जाकर अपनी गलती न मान ली l

अपनी सहेली को चोरी करने से न रोक पाने पर मैं दुखित थी l मैं चोरी की वस्तुओं को लौटाकर दूकानदार से क्षमा मांगी और फिर कभी चोरी नहीं करने का प्रण किया l दूकानदार ने मुझसे अपने दूकान में आने से मना कर दिया l किन्तु इसलिए कि मेरी माँ ने मुझे क्षमा करके भरोसा दिलाया था कि मैंने सही करने का पूरा प्रयास किया था, और उस रात मैं शांति से सो पायी थी l

राजा दाऊद ने पश्चाताप करके क्षमा प्राप्त किया (भजन 32:1-2) l दाऊद ने बतशेबा और ऊरिय्याह के विरुद्ध अपने पाप को छिपाया(2 शमु. 11-12) जब तक कि उसकी “तरावट धूप काल की से झुर्राहट” न बन गयी (भजन 32:3-4) l किन्तु जब दाऊद ने अपने पाप को “प्रगट किया”, तो प्रभु ने उसके पाप क्षमा कर दिए (पद.5) l परमेश्वर ने “संकट से” उसकी रक्षा करके उसे “छुटकारे के गीतों से घेर” लिया (पद.7) l दाऊद आनंदित हुआ क्योंकि “जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से गिरा रहेगा” (पद.10) l

पश्चाताप करते समय और क्षमा मांगते समय हम अपने पापों के परिणाम का चुनाव नहीं कर सकते अथवा लोगों के प्रतिउत्तर पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं l किन्तु प्रभु हमें हमारे दोष को मिटाकर पाप की गुलामी से स्वतंत्रता और पश्चाताप द्वारा शांति का आनंद लेने में हमेशा सामर्थी बना सकता है l