मैंने अपनी युवावस्था में, एक सहेली से निकट के उपहार के दूकान में मेरे साथ चलने को कहा l हालाँकि, उसने मुझे चकित कर दिया l उसने बालों में लगानेवाले कुछ रंगीन क्लिप्स मेरे पॉकेट में डालकर दूकानदार को पैसे दिए बगैर मुझे खींचती हुई बाहर ले आयी l मैं एक सप्ताह तक खुद को दोषी मानती रही इससे पहले कि मैं रोती हुई अपनी माँ के पास जाकर अपनी गलती न मान ली l

अपनी सहेली को चोरी करने से न रोक पाने पर मैं दुखित थी l मैं चोरी की वस्तुओं को लौटाकर दूकानदार से क्षमा मांगी और फिर कभी चोरी नहीं करने का प्रण किया l दूकानदार ने मुझसे अपने दूकान में आने से मना कर दिया l किन्तु इसलिए कि मेरी माँ ने मुझे क्षमा करके भरोसा दिलाया था कि मैंने सही करने का पूरा प्रयास किया था, और उस रात मैं शांति से सो पायी थी l

राजा दाऊद ने पश्चाताप करके क्षमा प्राप्त किया (भजन 32:1-2) l दाऊद ने बतशेबा और ऊरिय्याह के विरुद्ध अपने पाप को छिपाया(2 शमु. 11-12) जब तक कि उसकी “तरावट धूप काल की से झुर्राहट” न बन गयी (भजन 32:3-4) l किन्तु जब दाऊद ने अपने पाप को “प्रगट किया”, तो प्रभु ने उसके पाप क्षमा कर दिए (पद.5) l परमेश्वर ने “संकट से” उसकी रक्षा करके उसे “छुटकारे के गीतों से घेर” लिया (पद.7) l दाऊद आनंदित हुआ क्योंकि “जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से गिरा रहेगा” (पद.10) l

पश्चाताप करते समय और क्षमा मांगते समय हम अपने पापों के परिणाम का चुनाव नहीं कर सकते अथवा लोगों के प्रतिउत्तर पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं l किन्तु प्रभु हमें हमारे दोष को मिटाकर पाप की गुलामी से स्वतंत्रता और पश्चाताप द्वारा शांति का आनंद लेने में हमेशा सामर्थी बना सकता है l