ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के निकट लार्ड हॉवे द्वीप सफ़ेद रेत और अत्यधिक साफ़ जल का एक छोटा स्वर्ग है l कुछ वर्ष पहले जब मैं वहाँ गया था, तो वहां की खूबसूरती से चकित हुआ l यहाँ पर, कोई भी व्यक्ति बड़े कछुओं और मछलियों के संग झिलमिलाते जल में बिना किसी मेहनत के तैर सकता है, और विशेष प्रजाति की समुद्री मछलियाँ भी अपने रंग बिखेरती हुईं निकट तैरती होती हैं l उस झील में मैंने मूंगा-चट्टानों के बीच चमकदार नारंगी रंग की और ख़ास प्रजाति की मछलियाँ देखीं जो मेरे हाथों को छूना चाहती थीं l इस खूबसूरती से अभिभूत होकर मैं परमेश्वर की प्रशंसा करने के लिए विवश हुआ l

प्रेरित पौलुस मेरे प्रतिउत्तर के लिए कारण देता है l सृष्टि अपनी सबसे खूबसूरत अवस्था में परमेश्वर के स्वभाव की कुछ बातें प्रगट करती है (रोमी,1:20) l लार्ड हॉवे द्वीप ने मुझे परमेश्वर की सामर्थ्य और खूबसूरती की झलक दे रही थी l

जब परमेश्वर से नबी यहेजकेल का सामना हुआ, उसे एक प्रकाशमान व्यक्ति दिखाई दिया जो नीलम से बने सिंहासन पर बैठा था और वह सिंहासन सुहावने रंगों से घिरा हुआ था (यहेज. 1:25-28) l प्रेरित यूहन्ना को भी उसी प्रकार दिखाई दिया : परमेश्वर कीमती पत्थरों की तरह चमक रहा है, और मरकत-सा एक मेघ धनुष उसके चारों ओर है (प्रका.4:2-3) l जब परमेश्वर खुद को प्रगट करता है, वह केवल भला और सामर्थी ही नहीं खूबसूरत  भी दिखायी देता है l जिस तरह एक कलाकृति अपने कलाकार को प्रगट करती है उसी तरह सृष्टि अपने सृष्टिकर्ता को दर्शाती है l

अक्सर परमेश्वर की जगह प्रकृति की उपासना होती है (रोमि. 1:25) l कितनी दुःख की बात है l इसके विपरीत, धरती का स्वच्छ जल और उसमें तैरते जलजन्तु उस सृष्टिकर्ता की ओर संकेत करते है जो संसार के सभी वस्तुओं से कहीं सामर्थी और सुन्दर है l