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Articles by जेफ़ ओल्सन

लुका छुपी

“वह मुझे ढूँढ लेगा,” मैंने सोचा l मेरा छोटा दिल और तेजी से धड़कने लगा जब मैंने अपने निकट अपने पांच वर्षीय चचेरे भाई के क़दमों की आवाज़ सुनी l वह निकट आ रहा था l केवल पांच कदम दूर l तीन l दो l “मैंने तुम्हें ढूढ़ लिया!”

लुका छुपी l हममें से बहुतों के पास बचपन के इस खेल की स्नेही यादें हैं l फिर भी जीवन में किसी समय ढूढ़ लिए जाने का भय खेल नहीं है परन्तु भाग जाने के गहरे सहजज्ञान में है l लोग जो देखेंगे उसे पसंद नहीं करेंगे l

पतित संसार के बच्चे होने के कारण, हम वह करने के लिए प्रवृत हैं जिसे मेरा मित्र इस तरह कहता है, परमेश्वर और हमारे बीच में “लुका छुपी का उलझा हुआ एक खेल l” यह बहुत हद तक छिपने का बहाना करने वाले खेल की तरह है – क्योंकि दोनों ओर से ही है l वह पूर्ण रूप से हमारे मैले विचार और गलत निर्णयों के आर पार देखता है l हम जानते हैं, यद्यपि हम बहाना बनाना चाहते हैं कि वह वास्तव में हमें नहीं देख सकता है l

फिर भी परमेश्वर निरंतर ढूढ़ता रहता है l वह हमें आवाज़ देता है, “बाहर आ जाओ l मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ, तुम्हारे जीवन के सबसे लज्जाजनक हिस्से भी” – उसी आवाज़ की प्रतिध्वनि जिसने उस पहले मानव को पुकारा था जो भय के कारण छिप गया था : “तू कहाँ है?” (उत्पत्ति 3:9) l इस प्रकार का निमन्त्रण जो एक चुभनेवाले प्रश्न के रूप में बोला गया l मेरे बेटे/मेरी बेटी, “छुपे हुए स्थान से निकल आओ, और वापस मेरे साथ सम्बन्ध बना लो l”

यह बहुत हद तक जोखिम भरा हो सकता है, और बेतुका भी l परन्तु वहाँ पर, हमारे पिता की देखभाल के सुरक्षित स्थान में, हममें से कोई भी, चाहे हम जो भी किए हों या नहीं कर पाए हों, उसके द्वारा पूर्ण रूप से जाने जा सकते हैं और प्रेम किये जा सकते हैं l

असहनीय में भी जीवित

अनुभव प्रोजेक्ट, इक्कीसवीं सदी की एक सबसे बड़ी ऑनलाइन समुदाय, एक समय ऐसी साईट थी जिसपर बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी गहरी पीड़ादायक प्रत्यक्ष अनुभवों को साझा किया l मर्मभेदी कहानियों को पढ़ते समय, मैंने विचार किया कि हमारे हृदय कितने बेसब्री से ऐसे किसी व्यक्ति के लिए लालायित होते हैं जो हमारा दर्द समझ ले l

उत्पत्ति में, एक युवा दासी की कहानी दर्शाती है कि यह उपहार कितना अधिक जीवनदायक हो सकता है l 

हाजिरा एक दासी लड़की थी जिसे संभवतः मिस्र के फिरौन ने अब्राम को दी थी (देखें उत्पत्ति 12:16; 6:1) l जब अब्राम की पत्नी सारै गर्भवती न हो सकी, उसने अब्राम को हाजिरा से एक संतान उत्पन्न करने का आग्रह किया-उस काल का एक तकलीफ़देह अपितु सामान्य चलन l किन्तु जब हाजिरा गर्भवती हो गयी, तनाव बढ़ गया, जबतक कि हाजिरा सारै के दुर्व्यवहार से जंगल में न भाग गयी (16:1-6) l

किन्तु हाजिरा की कठिन परिस्थिति-एक कठोर, निर्मम मरुभूमि में गर्भवती और अकेले- दिव्य आँखों से भाग न सकी l एक स्वर्गिक दूत द्वारा हाजिरा को प्रोत्साहित करने के बाद (पद.7-12), उसने घोषणा की, “अत्ताएलरोई-तू सर्वदर्शी ईश्वर है” (पद.13) l

हाजिरा खाली तथ्यों से परे देखनेवाले परमेश्वर की स्तुति कर रही थी l वही परमेश्वर यीशु में प्रगट हुआ, जिसने, भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान . . . व्याकुल और भटके हुए से थे” (मत्ती 9:36) l  हाजिरा का सामना एक ऐसे परमेश्वर से हुआ था जो समझ सकता था l

जिस परमेश्वर ने हाजिरा की पीड़ा को देखा और समझा हमारी भी समझता है (इब्रानियों 4:15-16) l स्वर्गिक परानुभूति का अनुभव असहनीय को थोड़ा अधिक सहनीय बनने में सहायता कर सकता है l

जीवन का परमेश्वर

कुछ सर्दियों पहले, मेरे शहर ने हड्डियाँ जमा देने वाली असामान्य बर्फीली सर्दी का अनुभव किया जिसने अंत में वसंत ऋतु के थोड़े गर्म मौसम के किए मार्ग खोल दिया। बाहरी तापमान उप-शून्य डिग्री अंक से सीधे नीचे उतर गया (20 C; -5 F)।

एक सुबह में चहकते पक्षियों की आवाज़ ने रात की खामोशी तोड़ दी। दर्जनों, पक्षी दिल खोल कर गा रहे थे। कहा जाए तो वे जीव अपने सृष्टिकर्ता के लिए अपना राग सुना रहे थे!

पक्षी विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दियों के अंत में आने वाली भोर में जिन सैंकड़ों पक्षियों का मधुर गीत हम सुनते हैं उन में अधिकतर अपने साथी को आकर्षित करने और क्षेत्रों का दावा भरने वाले नर पक्षी होते हैं। उनकी चहचहाहट ने मुझे याद दिलाया कि परमेश्वर ने जीवन को बनाए रखने और फलवंत करने के लिए अपनी सृष्टि में सुधार किया-क्योंकि वह जीवन का परमेश्वर है।

एक भजन यूँ आरंभ होता है, "वह सब जो मैं हूँ यहोवा को धन्य कहे" (भजन 104:1)। "नालों में बहते सोतों के पास..."। (12) बसेरा करते और बोलते पक्षियों से लेकर समुद्र के अनगिनत जलचर (25), उसकी प्रशंसा करने के लिए हमारे पास कितने कारण हैं जिसने यह सुनिश्चित किया है कि समस्त जीवन फलता फूलता रहे।

दृश्य का आनंद लें

सूर्यास्त l  लोग इसे देखने के लिए काम रोक देते हैं .... उसका तस्वीर खींचते हैं ... सुन्दर दृश्य का आनंद लेते हैं l

हम दोनों पति-पत्नी ने हाल ही में मेक्सिको की खाड़ी में सूर्यास्त देखा l लोगों का एक समूह हमारे साथ था, अधिकतर अपरिचित जो संध्या की इस अद्भुत घटना को देखने हेतु तट पर इकट्ठा थे l जिस क्षण सूर्य क्षितिज पर अस्त हुआ भीड़ ने वाहवाही की l

लोग इस तरह प्रतिक्रिया क्यों देते हैं? भजन सहिंता संकेत देता है l भजनकार परमेश्वर के विषय लिखता है कि वह सूर्य से अपने सृष्टिकर्ता की प्रशंसा करवाता है (भजन 148:3) l और जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर चमकती हैं, लोग उनके साथ प्रशंसा करने को विवश होते हैं l

कुछ बातों की तरह प्रकृति की सुन्दरता हमारे मन से बातें करती है l उसके पास हमें मार्ग में रोकने की ताकत और हमारे ध्यान को खींचने की ताकत ही नहीं है, बल्कि वह सुन्दरता के रचयिता की ओर हमारा ध्यान ले जाता है l

परमेश्वर की बड़ी सृष्टि का विस्मय हमें रोककर सबसे महत्वपूर्ण बात याद दिलाता है l यह हमें याद दिलाता है कि इस दिन के इस अद्भुत आगमन और गमन के पीछे एक सृष्टिकर्ता है, जो इस संसार से जिसे उसने बनाया, से बहुत प्रेम करता है कि वह इसमें आया कि इसे बचा ले और नया कर दे l