कुछ सर्दियों पहले, मेरे शहर ने हड्डियाँ जमा देने वाली असामान्य बर्फीली सर्दी का अनुभव किया जिसने अंत में वसंत ऋतु के थोड़े गर्म मौसम के किए मार्ग खोल दिया। बाहरी तापमान उप-शून्य डिग्री अंक से सीधे नीचे उतर गया (20 C; -5 F)।

एक सुबह में चहकते पक्षियों की आवाज़ ने रात की खामोशी तोड़ दी। दर्जनों, पक्षी दिल खोल कर गा रहे थे। कहा जाए तो वे जीव अपने सृष्टिकर्ता के लिए अपना राग सुना रहे थे!

पक्षी विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दियों के अंत में आने वाली भोर में जिन सैंकड़ों पक्षियों का मधुर गीत हम सुनते हैं उन में अधिकतर अपने साथी को आकर्षित करने और क्षेत्रों का दावा भरने वाले नर पक्षी होते हैं। उनकी चहचहाहट ने मुझे याद दिलाया कि परमेश्वर ने जीवन को बनाए रखने और फलवंत करने के लिए अपनी सृष्टि में सुधार किया-क्योंकि वह जीवन का परमेश्वर है।

एक भजन यूँ आरंभ होता है, “वह सब जो मैं हूँ यहोवा को धन्य कहे” (भजन 104:1)। “नालों में बहते सोतों के पास…”। (12) बसेरा करते और बोलते पक्षियों से लेकर समुद्र के अनगिनत जलचर (25), उसकी प्रशंसा करने के लिए हमारे पास कितने कारण हैं जिसने यह सुनिश्चित किया है कि समस्त जीवन फलता फूलता रहे।