कुछ समय पहले मैं एक मित्र के साथ एम्पायर स्टेट बिल्डिंग में गया। लाइन छोटी लग रही थी, बस कोने तक ही। परन्तु अन्दर पहुंचे तो देखा, लाइन लॉबी से लेकर सीढ़ियों तक और एक अन्य कमरे तक फैली हुई थी । हर मोड़ और भी दूरी को बता रहा था।

आकर्षणस्थलों और थीम पार्क की लाइनों के रूट ऐसे बनाए जाते हैं जिससे भीड़ कम दिखे। फिर भी हर मोड़ पर वास्तविक दशा से निराशा हाथ आती है।

कभी कभी जीवन की निराशाएं और अधिक गंभीर हो जाती हैं। जो नौकरी मिलने की आशा हो वह नहीं मिलती, जिन मित्रों पर भरोसा किया उन्हीं ने धोखा दिया, जो संबंध बनाए वे  नकाम हुए। लेकिन इन पलों में, परमेश्वर पर हमारी आशा रखने के बारे में वचन एक सत्य कहता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा, “क्लेश से धीरज और धीरज से खरा निकलना…”। (रोमियों 5:3-5)     

जब उनपर हम विश्वास रखते हैं, तो परमेश्वर अपनी आत्मा द्वारा, धीरे से बता देते हैं कि वे हमें बिना शर्त प्रेम करते हैं और एक दिन हम उनके साथ होंगे-चाहे कैसी भी बाधाओं का हमें सामना करना पड़े। एक ऐसे संसार में जो अक्सर हमें निराश करता है, यह जानना कितना भला है कि परमेश्वर हमें सच्ची आशा देते हैं।