“मौज-मस्ती का समय बहुत जल्दी बीत जाता है”। यह बात तथ्य पर आधारित नहीं है, परन्तु अनुभव सत्य लगता है। जब जीवन सुहाना हो, समय तेज़ी से गुजरता है। कोई ऐसा काम, या ऐसा व्यक्ति जो मुझे पसंद हैं, मुझे दे दो, और समय महत्वहीन लगेगा।
मेरे इस अनुभव ने प्रकाशित वाक्य 4 में वर्णित दृश्य का मुझे एक नया दर्शन दिया। परमेश्वर के सिंहासन के चारों ओर बैठे चार जीवित प्राणियों के निरन्तर एक ही बात दोहरने पर, जब मैं पहले विचार किया करती थी, तो लगता था, कि कितनी बोरिंग स्थिति है!
अब मैं वैसा नहीं सोचती। मैं उन दृश्यों के बारे में सोचती हूँ जिन्हें वे अपनी अनेकों आँखों से निहारते होंगे (पद 6, 8)। स्वच्छंद भाव वाले पृथ्वीवासियों के प्रति परमेश्वर के विवेकपूर्ण और करुणामयी व्यवहार से वो कितने चकित रह जाते होंगे। तब लगता है कि, इससे बेहतर प्रतिक्रिया और क्या हो सकती है? वहाँ “पवित्र, पवित्र, पवित्र” के अलावा और कहने के लिए और क्या हो सकता है?
उन चार प्राणियों की तरह, हमें भी परमेश्वर का गुणगान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यदि हम उन पर अपना ध्यान केंद्रित रखें और इस उद्देश्य को पूरा करते रहें तो हमारा जीवन कभी बोरिंग नहीं होगा।
इस लेख की लेखिका जूली अब स्वर्ग में अपने प्रभु की आराधना कर रही है।
एक हृदय जो परमेश्वर से सामंजस्यता रखता हो वह स्तुति गान किए बिना नहीं रह सकता।