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Articles by लिसा एम समरा

पुनः उठ खड़े हो

ओलंपिक धावक रेयान हॉल आधी लम्बी दौड़(half merathon) के लिए अमेरिकी रिकॉर्ड-धारक है l उन्होंने 13.1 मील (21 किलोमीटर) की दूरी को इक्यावन मिनट और तैंतालीस सेकंड के उल्लेखनीय समय में पूरा किया, जिससे वह एक घंटे के भीतर दौड़ने वाले पहले अमेरिकी एथलीट बन गए l जबकि हॉल ने रिकॉर्ड-सेटिंग की जीत का जश्न मनाया है, उसने एक दौड़ पूरी नहीं कर पाने की निराशा को भी जाना है l 

सफलता और असफलता दोनों का स्वाद चखने के बाद, उसे सँभालने के लिए हॉल यीशु में अपने विश्वास को श्रेय देता है l उसकी पसंददीदा बाइबल पदों में से एक नीतिवचन की किताब से एक उत्साहजनक अनुस्मारक है कि “धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है” (24:16) l यह नीतिवचन हमें याद दिलाता है कि धर्मी लोग, जिन पर भरोसा करते हैं और परमेश्वर के साथ एक रिश्ता रखते हैं, वे इसके बावजूद भी परेशानियों और कठियाइयों का अनुभव करेंगे l हालाँकि, जब वे कठिनाई के मध्य भी निरंतर उसे ढूढ़ते है, परमेश्वर उन्हें फिर से उठ कर खड़े होने की ताकत देता है l

क्या आपने हाल ही में एक विनाशकारी निराशा या असफलता का अनुभव किया है और महसूस करते हैं कि आप कभी भी ठीक नहीं होंगे? पवित्रशास्त्र हमें प्रोत्साहित करता है कि हम अपने ताकत पर भरोसा न करें, लेकिन परमेश्वर और उसके वादों पर अपना विश्वास बनाए रखें l जैसा कि हम उस पर भरोसा करते हैं, परमेश्वर की आत्मा हमें इस जीवन में आने वाली हर कठिनाई के लिए ताकत देता है, जो सांसारिक रूप से महत्वपूर्ण संघर्षों से मिलती है (2 कुरिन्थियों 12:9) l 

जिन्दगी के तूफान पार करना

16 जुलाई 1999 को, जॉन.एफ़. कैनेडी जूनियर (अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति के पुत्र) द्वारा चालित छोटा विमान अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया । जांचकर्ताओं ने दुर्घटना की वजह एक सामान्य त्रुटी बतायी जिसे स्थान-सम्बन्धी भटकाव कहा जाता है l यह घटना तब होती है जब, कम दृश्यता की वजह से पायलट भटक जाते हैं और अपने गंतव्य तक सफलतापूर्वक पहुँचने के लिए अपने उपकरणों पर सहाहता के लिए भरोसा करना भूल जाते हैं l

जब हम जिन्दगी की सफ़र करते हैं, तो कई बार जिन्दगी काफी कठिन हो जाता है, हम गुमराह महसूस करते हैं l कैंसर का लक्षण, किसी प्रिय की मृत्यु, नौकरी की हानि, मित्र द्वारा विश्वासघात——जीवन की अनापेक्षित त्रासदियाँ हमें भूला हुआ और भ्रमित छोड़ जाती हैं l

जब हम अपने को ऐसी परिस्थितियों में पाते है, हम भजन 43 की प्रार्थना करने की कोशिश कर सकते हैं l इस भजन में, भजनकार व्याकुल है और गुमराह महसूस कर रहा है क्योंकि वह बुराई और अन्याय से घिरा हुआ महसुस कर रहा है l निराशा में, भजनकार परमेश्वर से अपने इच्छित गंतव्य, परमेश्वर की उपस्थिति (पद.3-4) तक सुरक्षित पहुँचने के लिए मार्गदर्शन और मदद की गुहार लगाता है l भजनकार जानता है कि परमेश्वर की उपस्थिति में वह नवीकृत आशा और हर्ष प्राप्त करेगा । 

कौन से उपकरण हैं जो भजनकार मार्गदर्शन के लिए आग्रह करता है? पवित्र आत्मा के द्वारा सत्य की ज्योति और परमेश्वर की उपस्थिति का आश्वासन l

विश्वास का मार्ग

2017 में विश्व कप क्वालिफाइंग मैच जिसने अमेरिका को ट्रिनिडाड और टोबागो के खिलाफ खड़ा किया, इस कम ज्ञात टीम ने विश्व को चौंका दिया जब उन्होंने अमेरिका के पुरुषों की राष्ट्रीय टीम को हराया, एक टीम जो छप्पन स्थान ऊपर थी l 2-1 की गड़बड़ी ने 2018 विश्व कप से अमेरिकी टीम को हटा दिया l 

ट्रिनीडैड और टोबागो की जीत बहुत ही अनपेक्षित थी कुछ हद तक इसलिए कि अमेरिका की जनसंख्या और संसाधन बाकी छोटे कैरिबियन राष्ट्रों को बौना बना दिया था l लेकिन वह अजेय सुविधाएँ उस उत्साही टीम को हराने के लिए काफी नहीं थीं ।

गिदोन और मिद्यानियों की कहानी योद्धाओं के एक छोटे समूह और एक बड़ी सेना के बीच, एक सामान्य परेशानी को दर्शाता है l इस्राएली सेना के पास वास्तव में 30,000 से भी अधिक योद्धा थे, लेकिन परमेश्वर ने सेना को घटाकर केवल 300 योद्धा कर दिया ताकि राष्ट्र सीख सके कि उनकी सफलता परमेश्वर पर आधारित थी──न कि उनकी सेना के आकर, खजाने की धनराशि, अथवा उनके अगुओं के कौशल पर (न्यायियों 7:1-8)

जिन चीजों को हम देख सकते या माप सकते हैं उन पर भरोसा और विश्वास करना प्रलोभक  हो सकता है, परन्तु यह विश्वास का मार्ग नहीं है । हालाँकि, यह अक्सर मुश्किल होता है, जब हम परमेश्वर पर निर्भर होने के लिए इच्छुक होते हैं, “उसकी शक्ति के प्रभाव में बलवंत” बनने के लिए (इफिसियों 6:10), हम साहस और आत्मविश्वास के साथ परिस्थितियों में जा सकते है, उस समय भी जब हम अभिभूत और अयोग्य महसूस करते है । उसकी उपस्थिति और सामर्थ्य हम में और हमारे द्वारा अद्भुत कार्य कर सकते हैं l 

एक उल्लेखनीय जीवन

मुझे ऑस्ट्रेलिया की एक असाधारण शल्यचिकित्सक कैथरीन हैमलिन की निधन सूचना पढ़ने के बाद उनके बारे में पता चला l इथियोपिया में, कैथरीन और उनके पति ने विश्व के एकमात्र हॉस्पिटल की स्थापना की जो शरीर की विनाशकारी और प्रसूति नासूर(obstetric fistula) के भावनात्मक आघात का इलाज करने के लिए समर्पित किया गया जो विकासशील संसार में एक सामान्य क्षति के रूप में बच्चे के जन्म के समय हो सकता है l कैथरीन को 60,000 से ज्यादा महिलाओं के इलाज की देखरेख का श्रेय दिया गया ।

हैमलिन बानवे की उम्र तक हॉस्पिटल में काम करती रही और अपने हर दिन की शुरुआत एक कप चाय और बाइबल अध्ययन से करती हुयी, जिज्ञासा से प्रश्न पूछनेवालों से कहा कि वह यीशु में एक साधारण विश्वासी है जो केवल वही कार्य कर रही थी जो परमेश्वर ने उसे दिया था l 

मैं उनके असाधारण जीवन के बारे में जानकर आभारी थी क्योंकि उन्होंने मेरे लिए पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन को हमारे जीवन को इस तरह जीने के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया,  यहाँ तक कि जो परमेश्वर को सक्रिय रूप से अस्वीकार करते हैं “वे भी [हमारे] भले कामों को देखकर . . . परमेश्वर की महिमा करें” (1 पतरस 2:12) l

परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ्य जो हमें आत्मिक अंधकार से निकालकर उसके साथ एक रिश्ते में बुलाया है (पद. 9) हमारे काम या हमारी सेवा क्षेत्रों को विश्वास की गवाही में परिवर्तित कर सकता है । परमेश्वर ने जो भी जुनून या कौशल हमें उपहार के तौर पर दिए हैं, हम उन सभी को करने में अतिरिक्त सार्थकता और उद्देश्य के साथ इस प्रकार करें जिसके पास लोगों को उसकी ओर इंगित करने की ताकत हो l

प्रेम द्वारा पीछा किया गया

अंग्रेजी के कवि फ्रांसिस थॉम्पसन की प्रसिद्ध कविता “द हाउंड ऑफ हैवन” की आरंभिक पंक्तियाँ “मैं रात को और दिन को उसका पीछा करता रहा” हैं l थॉम्पसन यीशु द्वारा अनवरत पीछा करने का वर्णन करता है─परमेश्वर से उसके छिपने का प्रयास, या यहां तक ​​कि भाग जाने के उसके प्रयासों के बावजूद l कवि अंत करता है, “मैं वह हूँ जिसे तू ढूढ़ता है!”

परमेश्‍वर का पीछा करने वाला प्रेम,  योना की किताब का एक केंद्रीय विषय है l नबी को नीनवे के लोगों (इस्राएल के कुख्यात दुश्मन) को ईश्वर की ओर मुड़ने की आवश्यकता के बारे में बताने के लिए एक काम मिला,  लेकिन इसके बजाय “योना यहोवा के सम्मुख से . . . भाग जाने के लिए उठा” (योना 1:3) l उसने नीनवे के विपरीत दिशा में जानेवाले एक जहाज पर स्थान सुरक्षित किया,  लेकिन एक प्रचंड आंधी से जहाज जल्द ही टूटने लगा l जहाज के मांझियों को बचाने के लिए, इससे पूर्व कि योना को एक बड़ी मछली निगल जाए, उसे जहाज पर से समुद्र में फेंक दिया गया (1: 15–17) l

अपनी खूबसूरत कविता में,  योना ने याद किया कि परमेश्वर से दूर भागने की उसकी पूरी कोशिश के बावजूद, परमेश्वर ने उसका पीछा किया l जब योना अपनी स्थिति से पराजित हो गया और उसे बचाए जाने की ज़रूरत पड़ी,  तो उसने प्रार्थना में परमेश्वर को पुकारा और उसके प्यार की ओर मुड़ा (2:2, 8) l परमेश्वर ने उत्तर दिया और न केवल योना के लिए,  बल्कि उसके अश्शुर के दुश्मनों के लिए भी बचाव प्रदान किया (3:10) l

जैसा कि दोनों कविताओं में वर्णित है, हमारे जीवनों में ऐसे समय आ सकते हैं  जब हम ईश्वर से भागने की कोशिश करते हैं l तब भी यीशु हमसे प्यार करता है और हमारे रिश्ते को अपने साथ पुनर्स्थापित करने के लिए काम करता है (1 यूहन्ना 1:9) l

सच्चाई में लंगर डाले हुए

मेरा परिवार लगभग एक सदी पुराने घर में रहता है जिसमें बहुत सारी खासियत हैं,  जिसमें शानदार बनावट वाली प्लास्टर की हुई दीवारें भी हैं l एक बिल्डर ने मुझे आगाह किया कि इन दीवारों पर  एक तस्वीर को लटकाने के लिए,  मुझे या तो लकड़ी के सहारे एक कील को ड्रिल करना होगा या सहारे के लिए प्लास्टर एंकर का उपयोग करना होगा l अन्यथा,  मुझे उस तस्वीर के फर्श पर गिरकर टूटने का जोखिम है, और साथ में एक बदसूरत छेद भी बना रह जाएगा l

भविष्यवक्ता यशायाह ने एल्याकिम नाम के एक मामूली बाइबल चरित्र का वर्णन करने के लिए एक दीवार में मजबूती से गाड़ी गयी कील के काल्पनिक चित्र का उपयोग किया l भ्रष्ट अधिकारी शेबना के विपरीत (यशायाह 22:15-19), इस्राएल के लोग भी─जो खुद पर ताकत के लिए भरोसा करते थे (पद.8-11)—एल्याकिम परमेश्वर में भरोसा करता था l राजा हिजकिय्याह के लिए महल के प्रशासक के रूप में एल्याकिम की पदोन्नति की पुष्टि करते हुए,  यशायाह ने लिखा कि एल्याकिम को “दृढ़ स्थान में खूँटी के समान [गाड़ा जाएगा] (पद.23) l  परमेश्वर की सच्चाई और अनुग्रह में सुरक्षित रूप से लंगर डाले जाने के कारण एल्याकिम अपने परिवार और अपने लोगों के लिए एक खम्भा होगा (पद.22-24) l 

फिर भी यशायाह ने इस नबूवत का अंत एक निरुत्साहित करने वाली ताकीद के साथ किया कि कोई भी व्यक्ति मित्रों या परिवार के लिए अंतिम सुरक्षा नहीं हो सकता है─हम सभी विफल होते हैं (पद.25) l  हमारे जीवनों के लिए एकमात्र पूर्ण भरोसेमंद लंगर यीशु है (भजन 62:5-6; मत्ती 7:24) l जब हम दूसरों की परवाह करते हैं और उनके बोझ को साझा करते हैं,  हम उन्हें उसकी ओर इंगित भी करें, जो कभी विफल नहीं होने वाला लंगर है l

यह यीशु है!

लोकप्रिय अमेरिकी टेलीविज़न प्रतिभा प्रतियोगिता अमेरिका के पास प्रतिभा है(America’s Got Talent) के एक एपिसोड के दौरान, एक पांच वर्षीय लड़की ने इस तरह के उल्लास के साथ गाया कि एक जज ने उसकी तुलना 1930 के दशक के एक प्रसिद्ध बाल गायक और नृत्यांगना से की l उन्होंने टिप्पणी की, “"मुझे लगता है कि शर्ली टेम्पल(नाम) तुम्हारे अंदर कहीं रहती है l” उसकी अप्रत्याशित प्रतिक्रिया : “शर्ली टेम्पल नहीं l यीशु!”
मैं युवा लड़की की गहरी जागरूकता के विषय आचम्भित हुआ कि उसका आनंद यीशु का उसके अन्दर निवास करने से था l पवित्रशास्त्र हमें उस अद्भुत वास्तविकता से आश्वस्त करता है, कि सभी जो उस में भरोसा करते हैं, न केवल परमेश्वर के साथ अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा प्राप्त करते हैं, बल्कि उसकी आत्मा के द्वारा उनमें रहने वाली यीशु की उपस्थिति भी─हमारे हृदय यीशु के घर बन जाते हैं (कुलुस्सियों 1:27; इफिसियों 3:17) l
हमारे हृद्यों में यीशु की उपस्थिति हमें कृतज्ञता के अनगिनत कारणों से भरती है (कुलुस्सियों 2:6–7) l वह उद्देश्य और ऊर्जा के साथ जीने की क्षमता लाता है (1:28-29) l वह सभी परिस्थितियों में, उत्सव के समय और संघर्ष के समय, दोनों ही (फिलिप्पियों 4:12-13) के बीच हमारे हृद्यों में आनंद पैदा करता है l मसीह की आत्मा हमारे हृद्यों को आशा प्रदान करती है कि परमेश्वर सभी बातों के द्वारा भलाई उत्पन्न करेगा, उस समय भी जब हम देख नहीं सकते हैं (रोमियों 8:28) l और आत्मा एक शांति देती है जो हमारे चारों ओर घूमती अस्तव्यस्तता के बावजूद बनी रहती है (कुलुस्सियों 3:15) l
हमारे हृद्यों में रहने वाले यीशु से मिलनेवाले भरोसे के साथ, हम उसकी उपस्थिति को आरपार चमकने की अनुमति दे सकते हैं ताकि अन्य लोग उसे देखे बिना रह नहीं सकते l

कभी भी अकेला नहीं

“द इकोनॉमिस्ट 1843 की पत्रिका में मैगी फर्ग्यूसन ने लिखा, “यह कोई पीड़ा हो सकती है जो आवासहीनता, भूख या बीमारी से अधिक कष्टदायक हो सकता है l उनका विषय है? अकेलापन l फर्ग्यूसन ने किसी भी सामाजिक या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना, दिल दहलाने वाले उदाहरणों का उपयोग करते हुए कि अकेला होना कैसा महसूस होता है अकेलेपन की बढ़ती गति को लेखबद्ध किया l
अकेला महसूस करने का दुख हमारे दिन के लिए नया नहीं है l वास्तव में, अकेलापन की पीड़ा सभोपदेशक की प्राचीन किताब के पन्नों से गूँजती है l अक्सर राजा सुलैमान के नाम, पुस्तक उन लोगों के दुखों का वर्णन करता है जो किसी भी सार्थक रिश्तों की कमी महसूस करते हैं (4:7–8) l उपदेशक ने कहा कि उल्लेखनीय धन प्राप्त करना संभव है और फिर भी उससे कोई उपयोगिता अनुभव नहीं करना क्योंकि इसे साझा करने वाला कोई नहीं है l
लेकिन उपदेशक ने साहचर्य की सुंदरता को भी पहचान लिया, यह लिखते हुए कि जितना आप अकेले दम पर हासिल करेंगे, मित्र आपको उससे अधिक करने में मदद करेंगे (पद.9); सहयोगी जरूरत के समय मदद करते हैं (पद.10); साथी आराम लाते हैं (पद.121); और मित्र कठिन परिस्थितियों में सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं (पद.12) l
अकेलापन ख़ासा एक संघर्ष है – परमेश्वर ने हमें दोस्ती और समुदाय के लाभों की पेशकश करने और प्राप्त करने के लिए बनाया है l यदि आप अकेला महसूस कर रहे हैं, तो प्रार्थना करें कि परमेश्वर आपको दूसरों के साथ सार्थक संबंध बनाने में मदद करे l इस बीच, इस वास्तविकता में प्रोत्साहन पाएं कि विश्वासी कभी भी वास्तव में अकेला नहीं होता है क्योंकि यीशु की आत्मा हमेशा हमारे साथ है (मत्ती 28:20) l

एक शक्तिशाली नदी

वाशिंगटन डीसी में अफ्रीकी अमेरिकी इतिहास और संस्कृति के राष्ट्रीय संग्रहालय में दासता और उसके बाद की कठोर वास्तविकता की खोज करने वाली कई प्रदर्शनियों और कलाकृतियों के बीच, मैं चिन्तनशील विचार स्थान(contemplative court) को खोजने के कारण प्रसन्नचित था । इस शांत कमरे में कांस्य के रंग की अर्ध पारदर्शी कांच की दीवारें हैं  और पानी छत से कुंड में गिरता हुआ दिखाई देता है l

जब मैं उस शांतिपूर्ण स्थान पर बैठा था,  दीवार पर डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर का एक उद्धरण(quote) ने मेरे ध्यान को खींच लिया : “हम न्याय के जल की तरह बरसने और धार्मिकता को शक्तिशाली नदी की तरह बहने तक काम करने और लड़ने के लिए दृढ़ हैं l ये शक्तिशाली शब्द पुराने नियम की पुस्तक अमोस से लिए गए हैं l

आमोस एक ऐसे लोगों के बीच रहने वाला नबी था, जो धार्मिक गतिविधियों में शामिल था, जैसे कि त्योहारों को मनाना और बलिदान देना,  लेकिन जिनके मन परमेश्वर से दूर थे (आमोस 5:21–23) l परमेश्वर ने उनकी गतिविधियों को अस्वीकार कर दिया क्योंकि वे उनकी आज्ञाओं से दूर हो गए थे, जिनमें जरूरतमंदों और शोषितों के प्रति न्याय शामिल था l

धार्मिक समारोहों के बजाय ईश्वर और दूसरों के प्रति प्रेम से रहित,  आमोस ने लिखा कि ईश्वर ने अपने लोगों के लिए सभी लोगों के कल्याण के लिए वास्तविक चिंता का प्रदर्शन करने की लालसा की - जीवन जीने का एक उदार तरीका जो जीवन में बहने वाली एक शक्तिशाली नदी होगी जहां भी वह बहती है l

यीशु ने यही सत्य सिखाया कि ईश्वर से प्रेम करना हमारे पड़ोसियों से प्यार करने से जुड़ा है (मत्ती 22:37-39) l  जब हम ईश्वर से प्यार करना चाहते हैं,  तो वह ऐसे हृदयों से निकले जिनमें न्याय भी है l