अनपेक्षित तरीके
1986 में, पाँच वर्ष का लिवान मेरिट इंग्लैंड के जर्सी चिड़ियाघर के गोरिल्लाओं के बाड़े में बीस फीट नीचे गिर गया l जब माता-पिता और दर्शक सहायता मांग रहे थे, जम्बो नाम का सिल्वर-बैक व्यस्क गोरिल्ला स्तब्ध बच्चे और दूसरे गोरिल्लाओं के बीच में आकर बच्चे के पीठ पर धीरे-धीरे हाथ फेरने लगा l लिवान के रोने पर, जम्बो दूसरे गोरिल्लाओं को उनके बाड़े में ले गया और चिड़ियाघर की देखरेख करनेवाले और एम्बुलेंस ड्राईवर लिवान को बचा लिया l तीस वर्ष बीत गए हैं, लेकिन आज भी लिवान दयालु और विशाल जम्बो के विषय बताता है, जिसने रक्षक स्वर्गदूत की तरह आश्चर्यजनक अनपेक्षित तरीके से क्रिया करके, गोरिल्लाओं के प्रति उसकी दृष्टिकोण को बदल दिया l
एलिय्याह आशा करता था कि परमेश्वर ख़ास तरीकों से काम करे, किन्तु ईश्वरों का परमेश्वर प्रचंड-आंधी, और जोरदार भूकम्प, और तेज़ आग का उपयोग करते हुए अपने नबी को बताया कि उसे उसके विषय इस प्रकार नहीं सोचना चाहिए l उसके बाद उसने अपने हृदय को प्रगट करने के लिए और अपनी उपस्थिति को दर्शाने के लिए धीमी आवाज़ का उपयोग किया (1 राजा 19:11-12) l
एलिय्याह ने पहले भी परमेश्वर की सामर्थ्य देखी थी (18:38-39) l किन्तु वह उस परमेश्वर को समझ नहीं पाया जिसकी इच्छा है कि हम उसे सबसे महान और सभी कथित ईश्वरों से अधिक भयानक दिखाई देने की अपेक्षा उसे और अधिकाई से जान सकें l
अंत में, उस धीमी आवाज़ की परिपूर्णता यीशु की शक्तिशाली कोमलता में दिखाई दी, जिसने कहा, “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है” (यूहन्ना 14:9) l उसके बाद उसने खुद को पेड़ पर(क्रूस पर) कीलों से जड़ने दिया – हमसे प्रेम करनेवाले महान परमेश्वर का एक अनापेक्षित, दयालु कार्य l
भूलने की बीमारी
कैरल्सबाड, कैलिफोर्निया में आपातकालीन सेवा ने ऑस्ट्रेलियाई लहज़े में बोलने वाली एक महिला को बचाया जिसे याद नहीं था कि वह कौन थी।
उसे भूलने की बीमारी थी और उसका कोई पहचान पत्र नहीं था। डॉक्टरों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की मदद से उसकी हालत सुधरी, उसकी कहानी प्रसारित हुई और अंततः वह अपने परिवार से पुनः मिल पाई।
बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर भी यह भूल गया था कि वह कौन था और कहां से आया था। हालांकि उसकी भूलने की बीमारी आध्यात्मिक थी। जो राज्य उसे मिला था उसका श्रेय स्वयं लेकर वह यह बात भूल गया था कि परमेश्वर राजाओं के राजा हैं और उसके पास जो कुछ भी था वह उन्हीं का दिया हुआ था( दानिय्येल 4:17, 28-30)।
परमेश्वर ने राजा के दिमाग की दशा को नाटकीय बना दिया जिससे वह खेतों में जंगली जानवरों के साथ रहने और गाय की तरह घास चरने लगाI आखिरकार 7वर्षों बाद उसने आंखें स्वर्ग की ओर उठाईं, और उसकी बुद्धि ज्यों की त्यों हो गईI तब उसने कहा, “अब मैं नेबूदुकनेस्सर...” (37) I
हमारे बारे में क्या? हमारी दृष्टि में हम कौन हैं? हम कहां से आए? क्योंकि हम भूल जाने की प्रवृति रखते हैं इसलिए याद करने के लिए राजाओं के राजा के अलावा हम किसकी ओर देख सकते हैं?
आश्चर्य पर ध्यान केन्द्रित करना
कुछ लोगों की प्रवृति संसार में गलत देखने की होती है। डीविट जोन्स नेशनल ज्योग्राफिक के फोटोग्राफर हैं जिन्होंने अपने धन का उपयोग संसार में जो अच्छा है उसका उत्सव मनाने के लिए किया है। वह प्रतीक्षा करते हैं जब तक सुबह की पहली किरण या परिपेक्ष में अचानक आया बदलाव ऐसे आश्चर्य को प्रकट न कर दे जो वहां होते हुए भी असाधारण स्वरूप में न दिखता हो। कैमरे का प्रयोग वह लोगों के चेहरों और प्रकृति में सुन्दरता खोजने के लिए करते हैं।
गलत देखने का किसी के पास कारण था तो वह अय्यूब थे। जिन्होंने वह सब खो दिया जो उन्हें प्रिय था, यहां तक कि उनके मित्रों ने दोष लगाया कि वह पापों का दण्ड भोग रहे हैं। अय्यूब ने मदद के लिए पुकारा, परमेश्वर शान्त रहे। अंततः परमेश्वर ने अय्यूब से अंधियारे तूफान और भंवर में प्रकृति के आश्चर्य पर मनन करने को कहा जो उस बुद्धि और सामर्थ को प्रदर्शित करती है जो मानवीय समझ से परे है (अय्यूब 38:2-4)।
क्या वह हमसे कहेंगे? कुत्ते, बिल्ली, फड़फड़ाते पत्ते, या घास के तिनके की प्रकृति देखो, प्रकाश की किरण, या परिपेक्ष में बदलाव-या फिर हमारा दुःख भी-सृष्टिकर्ता के मन या हृदय को प्रदर्शित करते हैं जो इन सब में और सर्वदा हमारे साथ रहते हैं।
महान चिकित्सक
जब डा. ऋषि मनचंदा रोगियों से पूछते हैं, कि "आप कहाँ रहते हैं?" तो वे उनके पत्ते से अधिक जानना चाहते हैं। उन्होंने एक पैटर्न देखा है। उनके पास आने वाले रोगी अक्सर पर्यावरण तनाव से प्रभावित क्षेत्रों से आते हैं। मोल्ड, कीट, और विषैले तत्व उन्हें बीमार बना रहे हैं। डॉ मनचंदा उनके एक अधिवक्ता बन गए हैं, जिसे अपस्ट्रीम डॉक्टर्स कहते हैं ऐसे कार्यकर्त्ता, जो तत्काल चिकित्सा प्रदान करते हुए, बेहतर स्वास्थ्य के स्रोत तक पहुंचने के लिए रोगियों और समुदायों के साथ काम कर रहे हैं।
यीशु ने रोगियों को चंगाई देने के साथ, (मत्ती 4:23–24), उनकी दृष्टि को शारीरिक और भौतिक देखभाल की आवश्यकता से परे उठाया। पर्वत पर उपदेश में उन्होंने चिकित्सा चमत्कार से अधिक प्रदान किया। सात बार यीशु ने मन और हृदय के दृष्टिकोण का वर्णन किया जो सुखद कल्याण भावना लाता है। दो बार उन्हें धन्य बुलाया जो कठोर सताव का अनुभव करते हैं और अपनी आशा और विश्राम यीशु में पाते हैं (10–12)।
मैं सोचता हूँ कि शारीरिक और भौतिक आवश्यकता से परे सुखद कल्याण की अपनी आवश्यकता के बारे में मुझे कितना ज्ञान है? क्या मैं चमत्कार के साथ दीन, टूटे, भूखे, दयावन्त, मेल करवाने वाले ह्रदय पाने की कामना भी करता हूँ जिसे यीशु धन्य बुलाते हैं?
राष्ट्रीय खजाना
एक विज्ञापनदाता के दाऊद की माइकल एंजेलो द्वारा निर्मित प्रसिद्ध संगमरमर की मूर्ति के चित्र में परिवर्तन कर देने से इटली की सरकार और गैलरी के अधिकारियों ने आपत्ति की। एक अधिकारी ने कहा, कंधे पर गुलेल के स्थान पर राइफल के साथ दाऊद का चित्रण करना मूर्ति पर हथौड़ा मारने जैसा है या उससे भी बदतर।
यरूशलेम में, चरवाहा-गीतकार और सैनिक-राजा दाऊद से इजरायल की प्रियत्तम यादें और आशाएं जुड़ीं थी। भविष्यद्वक्ताओं के अनुसार दाऊद का वंशज इजरायल के दुश्मनों को हराएगा। सदियों बाद भीड़ ने यीशु का स्वागत दाऊद की सन्तान के रूप में (मत्ती 21:6-9), यह सोच के किया कि वह उनपर राज करने वाली रोमी सत्ता का नाश करेंगे। परन्तु यीशु ने तो अपने पिता के घर को प्रार्थनाघर के रूप में पुनर्स्थापित करने के लिए वहां लेन देन करने वालों की चौकियां उलट दीं। इज़राइल के अगुवे क्रोधित थे। यह वह मसीहा और दाऊद का पुत्र नहीं था, जिसे वे खोज रहे थे। इसलिए बिना जाने कि वे क्या कर हैं, उन्होंने रोमी शासकों से इज़राइल की सच्ची महिमा के हाथों और पैरों के लिए हथौड़ा मांग लिया। यीशु ने खुद को क्रूस पर उठाए जाने दिया और अपने शत्रुओं पर प्रेम से विजय पाई और सुसमाचार के प्रसार के लिए जाति-जाति की संतानों को नियुक्त किया।
द गिफ्ट ऑफ द मैगी
एक विवाहित जोड़े के पास धन से ज्यादा प्रेम था। क्रिसमस पर दोनों ऐसा उपहार ढूंडने लगे जो दूसरे के प्रति उनके प्रेम को दिखा सके। जिम को पुरखों से विरासत में मिली घड़ी के लिए एक प्लैटिनम चैन खरीदने के लिए डेला ने अपने घुटने तक के लम्बे बाल बेच दिए। जिम ने, डेला के बालों के लिए कंघे का एक महंगा सेट खरीदने के लिए उसी घड़ी को बेच दिया।
लेखक ओ हेनरी ने इस कहानी को द गिफ्ट ऑफ द मैगी नाम दिया जो बताती है कि भले ही उनके उपहार नाकाम रहे और क्रिसमस पर मूर्ख लगे, पर उनके प्रेम ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ उपहार देने वाले बुद्धिमानों के बीच खड़ा कर दिया। पहली क्रिसमस की कहानी के बुद्धिमान भी कुछ लोगों को मूर्ख लगे होंगे, क्योंकि वे बेतलेहेम में सोने, लोहबान और गन्धरस की भेंट के साथ पहुंचे थे (मत्ती 2:11)। वे नहीं जानते थे कि यहूदियों के नए जन्में राजा के बारे में पूछताछ करना यरूशलेम की शांति भंग कर देगा। (पद 2)
मेगी की योजनाओं का परिणाम भी उम्मीद अनुसार न था। पर उन्होंने वह दिया जिसे धन नहीं खरीद सकता। वे उपहार लेके आए फिर उसकी आराधना करने लगे जो अंततः उनके लिए-और हमारे लिए, सबसे बड़ा प्रेममयी बलिदान देगा।
वह मैं नहीं हूँ
बीसवीं शताब्दी के एक सबसे मशहूर ऑर्केस्ट्रा संचालक के रूप में, आरटूरो टॉसकनिनी को इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वह उस व्यक्ति को महत्त्व देते थे जो उसके लायक है l डेविड इवन की पुस्तक डिक्टेटर्स ऑफ़ द बैटन, में लेखक वर्णन करता है कि किस तरह न्यू यॉर्क फिलहारमोनिक ऑर्केस्ट्रा के सदस्य बीथहोवेन के नाइन्थ सिम्फनी (एक प्रकार की संगीत रचना) के अभ्यास के अंत में खड़े होकर टॉसकनिनी की प्रशंसा करने लगे l जब सब शांत हो गए, आरटूरो निराश होकर दुःख से बोला : “वो मैं नहीं हूँ ... वह बीथहोवेन है! . . . टॉसकनिनी कुछ नहीं है l”
नए नियम में प्रेरित पौलुस अपनी पत्रियों में अपनी आत्मिक अंतर्दृष्टि और प्रभाव के लिए श्रेय लेने से इनकार किया l वह जानता था कि मसीह में विश्वास लानेवाले अनेक लोगों का वह आत्मिक आभिभावक था l उसने स्वीकार किया कि उसने अनेक लोगों के विश्वास, आशा और प्रेम को बढ़ाने के लिए अत्यधिक मेहनत किया था और दुःख उठाया था (1 कुरिं. 15:10) l किन्तु अच्छे विवेक के कारण वह उनकी प्रशंसा अस्वीकार कर रहा था जो उसके विश्वास, प्रेम और अंतर्दृष्टि से प्रभावित थे l
इसलिए अपने पाठकों के लिए और हमारे लिए, पौलुस कहता है, वास्तव में, “भाइयों और बहनों, वह मैं नहीं हूँ, l वह मसीह है . . . पौलुस कुछ भी नहीं है l” हम केवल उसके संदेशवाहक हैं जो हमारी प्रशंसा के योग्य है l
मसीह का हृदय
400 दिन मिस्र के एक जेल में बिताने के बाद रिहा होने पर ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार ने मिलाजुली भावनाएँ व्यक्त की l अपनी रिहाई पर राहत स्वीकारते हुए, उसने उन मित्रों के लिए असाधारण चिंता जताई जिन्हें वह पीछे छोड़कर आ रहा था l उसने कहा कि अपने सह पत्रकारों को जो उसके साथ गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे अलविदा कहना बहुत कठिन था क्योंकि यह कहना कठिन था कि वे और कितने समय तक कैद रहनेवाले थे l
अपने मित्रों को पीछे छोड़ते समय मूसा ने भी बहुत चिंता दर्शायी l जब सीनै पर्वत पर परमेश्वर से उसके मुलाकात के समय उसके भाई, बहन और इस्राएली सोने के बछड़े की उपासना करने लगे, उनको खोने का भय उसे सताने लगा (निर्ग. 32:11-14), और उसने उनके लिए प्रार्थना की l अपनी चिंता दर्शाते हुए, उसने निवेदन किया, “तू उनका पाप क्षमा कर-नहीं तो अपनी लिखी हुयी पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे” (पद. 32) l
प्रेरित पौलुस भी अपने परिवार, मित्र, और राष्ट्र के लिए उसी तरह चिंतित था l यीशु में उनके अविश्वास के लिए दुखित होते हुए, पौलस ने कहा कि वह मसीह के साथ अपने सम्बन्ध को त्याग भी सकता है यदि ऐसा प्रेम उसके भाई और बहन को बचा सकता है (रोमियों 9:3) l
पीछे मुड़कर, हम देखते हैं कि मूसा और पौलुस दोनों ने ही मसीह का स्वभाव प्रगट किया l फिर भी, वह प्रेम जिसका वे केवल अनुभव कर रहे थे, और वह बलिदान जो वे चढ़ा सकते थे, यीशु ने पूरा किया कि वह हमारे साथ सदा रह सके l
गहरी जड़ें
सिकुआ शंकुधारी वृक्ष, रक्त दारु वृक्ष की तीन प्रजातियों में से एक, विश्व के सबसे अधिक और सबसे टिकाऊ वृक्षों में से है l उसकी ऊँचाई 300 फीट, वजन 2.5 लाख पौंड (11 लाख किलोग्राम) से ऊपर, और उम्र 3,000 वर्ष होती है l किन्तु बड़े सिकुआ वृक्ष का आकार और उम्र भूमि के नीचे क्या है, पर आधारित है l एक एकड़ से भी अधिक भूमि में पसरी हुई 12 से 14 फीट गहरी जड़ों की जाल, वृक्ष की गगनचुंबी ऊँचाई और आश्चर्यजनक वजन को थामें रहती है l
हालाँकि, रक्त दारु वृक्ष की फैली हुई जड़ प्रणाली, यीशु के जीवन को सुदृढ़ बनानेवाली राष्ट्रीय इतिहास, धर्म, और प्रतीक्षा की तुलना में छोटी है l एक मरतबा उसने धार्मिक अगुओं के समूह से कहा कि शास्त्र जिनसे वे प्रेम करते हैं उसकी कहानी बताते हैं (यूहन्ना 5:39) l नासरत की आराधनालय में उसने यशायाह की पुस्तक खोलकर, इस्राएल के उद्धारकर्ता का वर्णन पढ़कर बोला, “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है” (लूका 4:21) l
अपने पुनरुत्थान बाद, यीशु ने अपने शिष्यों को समझने में सहायता की कि किस तरह मूसा, और नबियों के शब्द, और इस्राएल के गीत ने प्रगट किया था कि उसके लिए दुःख और मृत्यु सहकर पुनरुथित होना क्यों ज़रूरी था (24:46) l
यीशु को इतिहास और राष्ट्र के शास्त्र में जड़वत देखकर और हमारे जीवनों को उसकी कितनी ज़रूरत है महसूस करना क्या ही मनोहर और शोभनीय है l