जो हम कर सकते हैं
अपने बिस्तर तक सीमित होने के बावजूद, 92 वर्षीय मोरी बुगार्ट मिशिगन के बेघर लोगों के लिए टोपियाँ बनाता था l ख़बरों की माने तो उसने पंद्रह वर्षों में 8,000 से अधिक टोपियाँ बनायीं l अपने स्वास्थ्य या सीमाओं पर केन्द्रित न होकर, श्री बूगर्ट ने खुद के बाहर देखा और अपनी ज़रूरतों के ऊपर ज़रुरतमंदों की ज़रूरतों को महत्त्व दिया l उसने प्रगट किया कि उसका काम उसे अच्छा लगता है और उसे एक उद्देश्य देता है l उसने कहा, “मैं यह काम प्रभु के पास उसके घर जाने तक करूँगा”-जो फरवरी 2018 में हुआ l यद्यपि उसकी बनायी हुयी टोपियाँ प्राप्त करनेवाले उसकी कहानी नहीं जान पाएंगे या हर एक टोपी बनाने के लिए उसने कितना त्याग किया, मोरी के प्रेम को संरक्षित रखने का सरल कार्य संसार के लोगों को प्रेरित कर रहा था l
हम भी अपने संघर्ष के परे देख सकते हैं, दूसरों को अपने आगे रख सकते हैं, और अपने दयालु उद्धारकर्ता, यीशु मसीह का अनुसरण कर सकते हैं (फिलिप्पियों 2:1-5) l देहधारित परमेश्वर - राजाओं का राजा - वास्तविक दीनता में “दास का स्वरुप धारण किया (पद.6-7) l अपने जीवन को देकर - अंतिम बलिदान - उसने क्रूस पर हमारा स्थान लिया (पद.8) l यीशु ने हमारे लिए सब कुछ दे दिया . . . परमेश्वर पिता की महिमा के लिए सब कुछ (पद.9-11) l
यीशु में विश्वासी होने के कारण, दयालुता के कार्यों के द्वारा दूसरों को प्रेम दिखाना और उनकी परवाह करना हमारा सौभाग्य है l यदि हम विचार न भी करें हमारे पास देने के लिए बहुत है, हम सेवक का स्वभाव अपना सकते हैं l हम जो कर सकते हैं उसके द्वारा क्रियाशीलता से अवसर ढूढ़ कर लोगों के जीवनों में अंतर ला सकते हैं l
धन्यवाद की समझ
पुरानी दर्द और निराशाओं के कारण वर्षों की थकान के साथ सीमित गतिशीलता ने आखिरकार मुझे अपनी पकड़ में ले लिया था l अपने असंतोष में, मैं अत्यधिक रौब जमानेवाली और कृतघ्न हो गयी l मेरे पति की मेरी देखभाल करने के कौशल के विषय मैं शिकायत करने लगी थी l घर की सफाई के उसके तरीके से मैं नाखुश हुयी l यद्यपि मैं जानती हूँ कि वह सबसे अच्छा भोजन बनाता है, मैं भोजन की विविधता की कमी पर कोलाहल मचाने लगी थी l अंततः उसके बताने पर कि मेरा कुड़कुड़ाना उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचा रहे हैं, मैं क्रोधित हो गयी l आखिरकार, परमेश्वर ने मुझे अपनी गलतियाँ समझने में मेरी मदद की, और मैंने अपने परमेश्वर और पति से क्षमा मांग ली l
भिन्न परिस्थितियों की इच्छा करना हमें शिकायत, और सम्बन्ध बिगाड़ने वाले आत्म-केन्द्रितता की ओर ले जाता है l इस्राएली इस दुविधा से परिचित थे l ऐसा महसूस होता है मानो वह हमेशा असंतुष्ट रहते थे और परमेश्वर के प्रबंध के लिए कभी भी धन्यवादी नहीं थे (निर्गमन 17:1-3) l यद्यपि प्रभु ने “आकाश से भोजन वस्तु” (16:4) देकर बियाबान में अपने लोगों की देखभाल की थी, वह अन्य प्रकार का भोजन खाना चाहते थे (गिनती 11:4) l इस्राएली परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और प्रेमपूर्ण देखभाल के दैनिक आश्चकर्म के लिए आनंदित होने के बदले, और भी कुछ चाहते थे, कुछ बेहतर, कुछ भिन्न, या कुछ जो पहले खाते थे (पद.4-6) l वे अपनी कुण्ठा मूसा पर निकालते थे (पद.10-14) l
परमेश्वर की भलाई और विश्वासयोग्यता पर भरोसा रखने से धन्यवाद की समझ बढ़ती है l आज हम उसकी असंख्य देखभाल के लिए उसे धन्यवाद दे सकते हैं l
मेरा वास्विक रूप
अतीत में धर्मनिष्ठ जीवन से निम्न आचरण के कारण अयोग्यता और लज्जा की भावनाएं, वर्षों तक, मेरे जीवन के प्रत्येक भाग पर विपरीत प्रभाव डालती रहीं l मेरे कलंकित नेकनामी की सीमा को यदि दूसरे जान जाते तो क्या होता? यद्यपि परमेश्वर ने मुझे साहस दिया जिससे मैं एक सेवा अगुवा(महिला) को दोपहर भोजन पर आमंत्रित कर सकी l मैंने सिद्ध दिखाई देने का प्रयास किया l मैंने अपने घर को साफ़ किया, तीन प्रकार का भोजन तैयार किया, और सबसे अच्छे वस्त्र पहने l
मैंने सामने के प्रांगन का फव्वारा(sprinkler) बंद कर दिया l रिसती हुयी टोंटी को बंद करते समय, अचानक पानी की तेज़ धार से पूरी तौर से भीगने पर मैं चिल्ला उठी l अपने बालों को तौलिये से लपेटकर और बिगड़े मेकअप के साथ, मैंने अपने कपड़े बदल लिए l और उसी समय दरवाजे की घंटी बजी l खीज कर, मैंने सुबह की अपनी सारी बेतुकी हरकत और उद्देश्य बताए l मेरी नयी सहेली ने अपने अतीत के पराजय से उत्पन्न दोष की भावना के कारण भय और असुरक्षा के साथ अपना संघर्ष बांटा l प्रार्थना करने के बाद, उसने परमेश्वर के अपूर्ण सेविकाओं की अपनी टीम में मेरा स्वागत किया l
प्रेरित पौलुस मसीह में अपने नए जीवन को स्वीकार किया, अपने अतीत का इनकार नहीं किया अथवा प्रभु की सेवा करने में उसे आड़े नहीं आने दिया (1 तीमुथियुस 1:12-14) l क्योंकि पौलुस जानता था कि क्रूस पर यीशु के कार्य ने उसे अर्थात् सबसे अधम पापी को बचाया और रूपांतरित किया था, इसलिए उसने परमेश्वर की प्रशंसा की और दूसरों को उसका आदर करने और आज्ञा मानने के लिए उत्साहित किया (पद.15-17) l
जब हम परमेश्वर का अनुग्रह और क्षमा स्वीकार करते हैं, हम अपने अतीत से स्वतंत्र हो जाते हैं l हम दोषपूर्ण हैं किन्तु तीक्ष्णता से प्रेम किए गए हैं, और जब हम परमेश्वर से प्राप्त अपने वरदानों द्वारा दूसरों की सेवा करते हैं, हमें अपने वास्तविक रूप से लज्जित होने की ज़रूरत नहीं है l
प्रार्थना करने का सही तरीका
मैं उन लोगों की प्रशंसा करती हूँ जो उन दैनिकी में प्रार्थना निवेदन लिखते हैं जो दैनिक उपयोग से फट जाते हैं, जो प्रत्येक प्रार्थना निवेदन और प्रशंसा का रिकॉर्ड रखते हुए विश्वासयोग्यता से अपनी सूची को अपडेट/सुव्यवस्थित रखते हैं l मैं उनसे प्रेरित हूँ जो दूसरों के साथ प्रार्थना के लिए इकठ्ठा होते हैं और जिनके झुके हुए घुटनों से उनके पलंग के निकट रखी दरी घिस जाती हैं l वर्षों से, मैंने उनकी शैली अपनाने का, सिद्ध प्रार्थना जीवन का अनुसरण करने का और लोगों से कहीं अधिक स्पष्टता से वाक्पटुता की नकल करने की कोशिश की है l मैंने प्रार्थना करने का सही तरीका सीखने की इच्छा रखते हुए, जो मेरे विचार से रहस्य था उसको समझने का प्रयास किया l
अंततः, मैंने सीख लिया है कि हमारा प्रभु ऐसी प्रार्थना चाहता है जिसका आरंभ और अंत दीनता है (मत्ती 6:5) l वह हमें घनिष्ट संवाद के लिए आमंत्रित करके हमारी सुनने का वादा करता है (पद.7) l वह हमें निश्चित करता है कि प्रार्थना एक वरदान है, उसके ऐश्वर्य का आदर करने का अवसर (पद.9-10), उसके प्रबंध में भरोसा करने का प्रदर्शन (पद.11), और उसकी क्षमा और मार्गदर्शन में हमारी सुरक्षा की निश्चयता (पद.12-13) l
परमेश्वर हमें भरोसा देता है कि वह हमारी प्रार्थनाओं में उच्चारित और अनुच्चारित हर एक शब्द के साथ-साथ, जो प्रार्थनाएँ आँसुओं के रूप में दिखाई देती हैं, उनको भी सुनता और उनकी भी चिंता करता है l जब हम परमेश्वर और हमारे लिए उसके प्रेम में अपना भरोसा जताते हैं, हम दीन हृदय से प्रार्थना करने के विषय निश्चित होते हैं जो उसके प्रति समर्पित है और उस पर निर्भर है और जो हमेशा प्रार्थना करने का सही तरीका है l
तारों के परे
2011 में, द नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एसोसिएशन ने अन्तरिक्ष खोज(अनुसन्धान) के तीस वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया l उन तीन दशकों में, 355 से अधिक लोग अन्तरिक्ष यानों से अन्तरिक्ष में गए और अंतर्राष्ट्रीय अतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने मे सहायता की l पाँच अंतरिक्ष यानों के सेवामुक्त होने के बाद, नासा(NASA) ने अपना ध्यान गुरुत्वकर्षी और चुम्बकीय क्षेत्र के परे अनुसन्धान पर केन्द्रित कर दिया है l
मानव जाति ने सृष्टि/कायनात की विशालता का अध्ययन करने के लिए, बड़ी मात्रा में धन और समय का निवेश किया है, जिसमें कुछ अन्तरिक्ष यात्रियों की मृत्यु भी शामिल है l इसके बावजूद हम परमेश्वर के वैभव/प्रताप का प्रमाण माप नहीं सकते हैं l
जब हम सृष्टि के सृजक और संभालनेवाले के विषय विचार करते हैं जो प्रत्येक तारे का नाम जानता है (यशायाह 40:26), हम भजनकार दाऊद द्वारा उसकी महानता की प्रशंसा करने का कारण समझ सकते हैं (भजन 8:1) l परमेश्वर के हाथों(उँगलियों) के निशान “चंद्रमा और तारागण ... [पर हैं] जो . . .[उसने] नियुक्त किये हैं,” (पद.3) l स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता सबके ऊपर राज्य करता है, लेकिन अपने सभी प्रिय बच्चों के निकट रहकर उनसे घनिष्ठता और व्यक्तिगत रूप से प्यार करता है (पद.4) l परमेश्वर ने, प्रेम में जो संसार हमें सौंपा है उसकी देखभाल करने, उसको जानने के लिए के लिए हमें महान शक्ति, उत्तरदायित्व, और अवसर देता है (पद.5-8) l
जब हम रात में आकाश को तारों से भरा देखते हैं, परमेश्वर हमें उसको उत्साह और दृढ़ता से खोजने के लिए आमंत्रित करता है l वह हमारे होंठों से निकली प्रत्येक प्रार्थना और प्रशंसा को सुनता है l
उदार दानी
हमारी कलीसिया में परमेश्वर के कार्यों की समीक्षा के बाद, अगुओं ने समुदाय की बेहतर सेवा के लिए एक जिम निर्माण का प्रस्ताव रखा। अगुओं ने निर्माण राशी पहले देने की प्रतिज्ञा की। मेरे पति और मैं इस प्रोजेक्ट के लिए प्रार्थना करने लगे। परमेश्वर निरंतर हमारी ज़रूरतों को पूरा करते आए हैं इस पर विचार कर हमने प्रत्येक माह भेंट देने का निर्णय किया। कलीसिया के भेंट देने द्वारा पूरी इमारत का भुगतान चुकता हो गया।
जिम का उपयोग सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए होते देख मैं परमेश्वर का आभार मानती हूं। मुझे एक और उदार दानी-राजा दाऊद का स्मरण आता है।mयद्यपि परमेश्वर ने उसे अपना मंदिर बनाने के लिए नहीं चुना था, तौभी दाऊद ने अपने सभी संसाधन मंदिर निर्माण के कार्य मे लगा दिए (1 इतिहास 29:1-5) I अगुओं और अन्य लोगों ने भी उदारता पूर्वक दिया (6-9)। राजा ने स्वीकार किया कि उन्हें देने वाला पहले परमेश्वर ही था-सृष्टिकर्ता, पालनहार, और हर वस्तु का स्वामी (पद 10-16)।
परमेश्वर सब वस्तुओं के स्वामी हैं, यह जानकर हम दूसरों के लाभ के लिए आभार और उदारता से दान दे सकते हैं। और हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारी आवश्यकता को पूरा-और हमारी मदद हेतु दूसरों का उदारता पूर्वक प्रयोग भी कर सकते हैं।
अद्भुत निर्माता
एक शौकिया फोटोग्राफर होने के नाते, मैं कैमरे में परमेश्वर की रचनात्मकता की तस्वीरें खींचने का आनंद लेती हूं। फूल की कोमल पंखुड़ियों में, सूर्योदय-सूर्यास्त में, और आकाश रूपी कैनवास पर रंगे बादलों में और झिलमिलाते तारों में मैं उनकी उँगलियों के निशान देखती हूँ।
कैमरे से मैंने चेरी के पेड़ पर चहचहाती गिलहरी, खिलते हुए फूल पर मंडराती तितली, और समुद्र के तट पर धूप सेंकते हुए कछुओं की तस्वीरें ली हैं। हर तस्वीर मुझे अपने अद्भुत निर्माता की आराधना करने के लिए प्रेरित करती है।
भजन संहिता 104 का लेखक परमेश्वर के प्रकृति में बसी कला के कामों का स्तुति गान करता है (पद 24)। वह "विशाल समुद्र, की सराहना करता है जिसमें अनगिनत जलचर हैं" (पद 25) और उनकी निरंतर परवाह करने के लिए वह परमेश्वर में अनन्दित होता है (27-31)। भजनकार अपने चारों तरफ परमेश्वर की सृष्टि की महिमा देखते हुए, उनकी आराधना में कहता है:"मैं जीवन भर यहोवा ...।" (पद 33)।
परमेश्वर की भव्य और विशाल सृष्टि पर मनन करते हुए, हम उनके हाथों की रचनात्मकता और उनके विस्तार को ध्यान से देख सकते हैं। और भजनकार के समान, हम अपने सृष्टिकर्ता को धन्यवाद के साथ आराधना की भेंट दे सकते हैं क्योंकि वह कितने सामर्थशाली, प्रतापी, और प्रेममयी हैं और सर्वदा रहेंगे। हल्लिलूय्याह!
एक अच्छा पिता
मेरे पति अक्सर व्यापार यात्राओं पर रहते थे। हालाँकि वह फोन करते थे, तो भी कुछ कठिन रातें में हमारे नन्हें बेटे जेवियर को तसल्ली देने के लिए यह काफी नहीं होता था। जेवियर को जब पिता की ज़रूरत महसूस होती तो उसे दिलासा देने के लिए उसे मैं वो फोटो दिखाती जिसमें दोनों साथ हैं। ये यादें उसे प्रोत्साहित करतीं, और वह कहता कि, "मेरे पिता अच्छे हैं।"
उनकी अनुपस्थिति में जेवियर को उनके प्रेम की याद दिलाने की जरूरत को मैंने समझा। अपने कठिन समय या अकेलेपन में मुझे भी यह इस दिलासे की जरूरत होती है कि कोई मुझे प्रेम करता है खासतौर पर मेरा स्वर्गीय पिता।
रेगिस्तान में शत्रुओं से छिपता हुआ दाऊद परमेश्वर का अभिलाषी था (भजन संहिता 63:1)। परमेश्वर का असीम सामर्थ और प्रेम याद कर वह उनकी महिमा करने लगा (2-5), कठिन रातों में भी दाऊद अपने विश्वासयोग्य पिता की प्रेमपूर्ण परवाह (6-8) में आनन्दित था।
जब लगने लगे कि परमेश्वर हमारे साथ नहीं हैं, तो हम याद रखें कि परमेश्वर कौन हैं और उन्होंने अपने प्रेम का प्रदर्शन कैसे किया है। हमारे जीवन में उनकी भलाई को और पवित्रशास्त्र में वर्णित कार्यों को याद करें, और वह अनगिनत तरीकों में बताएँगे कि वह एक अच्छे अब्बा पिता हैं और हमसे प्रेम करते हैं।
प्रेम का उदार प्रगटन
हमारी शादी की सालगिरह पर मेरे पति, एलन मुझे ताज़े फूलों का गुलदस्ता देते हैं l संगठित पुनःनिर्माण कंपनी (corporate restructure)में नौकरी छूटने पर, मैंने प्रेम के खर्चीले प्रदर्शन जारी रहने की आशा नहीं की थी l किन्तु हमारे उन्नीसवीं सालगिरह पर, डाइनिंग हॉल के मेज़ पर रखे फूलों के रंगीन गुलदस्ते ने मेरा स्वागत किया l इसलिए कि उसके लिए यह वार्षिक रीत महत्वपूर्ण थी, एलन ने हर माह कुछ रूपये बचाकर मेरे लिए अपना व्यक्तिगत प्रेम प्रगट किया l
जिस तरह पौलुस ने कुरिन्थुस के विश्वासियों को संबोधित करते हुए उत्साहित किया, उसी प्रकार मेरे पति की चिन्ताशील योजना ने मेरे लिए भरपूर उदारता प्रगट की l प्रेरित पौलुस ने कलीसिया को उनके साभिप्राय और उत्साहवर्धक भेंट के लिए प्रशंसा करते हुए (2 कुरिं.9:2,5), उनको याद दिलाया कि परमेश्वर उदार और आनंद दे दिए गए भेंट से प्रसन्न होता है (पद.6-7) l आखिरकार, कोई भी हमारे प्रबंधकर्ता, जो हमारी हर एक ज़रूरत को पूरी करने को तत्पर है, से अधिक नहीं देता है, (पद.8-10) l
हम हर प्रकार के भेंट देने में उदार हो सकते हैं, परस्पर देखभाल कर सकते हैं क्योंकि प्रभु हमारे हर एक भौतिक, भावनात्मक, और आत्मिक ज़रूरतों को पूरी करता है (पद.11) l देने के द्वारा, हम परमेश्वर को सभी बातों के लिए धन्यवाद दे सकते हैं l हम दूसरों को भी परमेश्वर से प्राप्त आशीषों के लिए प्रशंसा करने और उसमें से देने हेतु प्रेरित कर सकते हैं (पद.12-13) l मुक्त हाथों का भेंट, प्रेम और कृतज्ञता का उदार प्रदर्शन, परमेश्वर के प्रबंध में हमारे भरोसे को प्रगट कर सकता है l