डॉक्टर ब्रायन गोल्डमैन मरीजों के इलाज में बाध्य निपुणता चाहते थे । किन्तु एक राष्ट्रीय प्रसारण में उन्होंने अपनी गलतियाँ स्वीकारी । उन्होंने कहा कि आकस्मिक कमरे में एक स्त्री का इलाज कर उसकी छुट्टी कर दी । उसी दिन बाद में वह पुनः भर्ति हुई और मर गयी। उन्होंने जाना: सिद्धता असम्भव है ।

मसीही होकर, हम अवास्तविक सिद्धता की आशा कर सकते हैं । किन्तु ऐसी अवस्था में भी, हमारे विचार एवं ध्येय बिल्कुल पवित्र नहीं हैं ।

प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, “यदि हम कहें कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो …. हम में सत्य नहीं” (1 यूहन्ना 1:8)। हल परमेश्वर की सत्य ज्योति में आकर पापों के लिए क्षमा मांगना है । यूहन्ना कहता है, “पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, …. यीशु का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है”(पद. 7)।

चिकित्सा पद्धति में, डॉ.गोल्डमैन एक “पुनःपरिभाषित चिकित्सक” का विचार रखते हैं जो-दोष स्वीकारने में हिचकिचानेवाली संस्कृति में-सिद्ध की निरंकुशता में और परिश्रम नहीं करता। बल्कि खुलकर दोष स्वीकाता और अपने सहयोगियों की मदद करता है जो गलतियों को कम करते हैं।

भला होता यदि मसीही परमेश्वर की सच्चाई और अनुग्रह के साथ परस्पर प्रेम और सहयोग के लिए जाने जाते। कितना अच्छा होता यदि हम जोखिम भरा किन्तु परस्पर और देखनेवाले संसार के साथ स्वस्थ्य ईमानदारी बरतते?