1950 के दशक में बढ़ते हुए, मैं अक्सर एक स्थानीय सिनेमा हॉल में शनिवार की अपराह्न फिल्म देखता था । कार्टून और फीचर फिल्म के साथ, एक रोमांचक सीरियल अभिनेता अथवा अभिनेत्री द्वारा एक असम्भव स्थिति से सामना के साथ समाप्त होता था । कोई हल दिखाई नहीं देता था, किन्तु प्रत्येक एपिसोड “क्रमशः…..”शब्दों से समाप्त होता था ।

प्रेरित पौलुस का जीवन भयभीत करनेवाली स्थितियों से परिचित था । लोगों तक सुसमाचार प्रचार के प्रयास में वह कैद हुआ, कोड़े खाए, पत्थरवाह किया गया, और उसका जहाज टूट गया । जानते हुए भी कि किसी दिन वह मर जाएगा, वह इसे कहानी का अन्त नहीं मानता था। पौलुस ने कुरिन्थुस के विश्वासियों को लिखा, “जब यह नाशवान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन …. पूरा हो जाएगा: ‘ ‘जय ने मृत्यु को निगल लिया’ ” (1 कुरिं. 15:54) । पौलुस के जीवन का धुन दूसरों को बताना था कि हमारा उधारकर्ता यीशु क्रूस पर मरा ताकि उसमें विश्वास करके हम अपने समस्त पापों की क्षमा प्राप्त कर अनन्त जीवन पा सकें ।

हम उस फिल्म अभिनेता के समान नहीं जो हमेशा निश्चित मृत्यु से बच जाता है । एक दिन हमारा सांसारिक जीवन मृत्यु द्वारा अथवा मसीह के वापसी से समाप्त होगा । किन्तु परमेश्वर के अनुग्रह और करुणा द्वारा, आपके और मेरे जीवन की कहानी “क्रमशः” रहेगी ।