1966 में अमरीकी सिनेटर रॉबर्ट केनेडी ने दक्षिण अफ्रिका का प्रभावशाली दौरा किया । उन्होंने केप टाउन विश्वविद्यालय में अपने प्रसिद्ध भाषण “आशा की लहरें: द्वारा रंगभेद के विरोधियों के अन्दर आशा जगायी । अपने भाषण में, उन्होंने घोषणा की, “हर समय जब एक व्यक्ति आदर्श के लिए, अथवा दूसरों के तकदीर को सुधारने हेतु, अथवा अन्याय के विरुद्ध प्रहार करता है, वह आशा की छोटी लहर भेजता है, और यह ऊर्जा और निर्भिकता की ताकतवर लहर बन जाती है जो शोषण और विरोध के सबसे मजबूत दीवारों को भी ध्वस्त कर सकती है ।”
कभी-कभी संसार में आशा कम दिखाई देती है । फिर भी मसीह के अनुयायी के लिए अन्तिम आशा शीघ्र उपलब्ध है । पतरस ने लिखा, “हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, जिसने यीशु मसीह के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिए नया जन्म दिया”(1 पतरस 1:3) ।
मसीह के पुनरुत्थान की निश्चितता द्वारा, परमेश्वर की सन्तान के पास आशा है जो छोटी लहर से बड़ी है । यह उसकी विश्वासयोग्यता में भरोसे की जबरदस्त लहर है जिसने हमारे लिए मुत्यु को हरा दिया । मृत्यु-हमारे सबसे बड़े शत्रु-पर अपने विजय में, यीशु हमारे सबसे निराशाजनक स्थिति में भी आशा भर सकता है ।