अपने माता-पिता के साथ सड़क मार्ग से परिवारिक भ्रमण बन्द करने के बाद, सैंकड़ों मील दूर नाना-नानी से मिलना दुर्लभ हो गया । इसलिए एक साल, मैं विमान से छोटे शहर लैण्ड ओ लेक्स, विस्कोसिन जाकर उनके साथ एक लम्बा सप्ताहान्त बिताने की सोची । वापसी उड़ान के लिए एयरपोर्ट जाते समय, नानी, जो कभी भी विमान की यात्रा नहीं की थी, ने अपना भय प्रकट किया, “वह विमान बहुत ही छोटा था जिस पर तुमने यात्रा की …. वहाँ ऊपर तुम्हें कुछ भी थामे नहीं रहता है, सच? ….मैं उतनी ऊँचाई पर जाने से डरुँगी ।”

जब तक मैं उस छोटे विमान पर नहीं चढ़ गई, मैं पहली बार उड़ान भरने की तरह भयभीत हुयी । आखिरकार, इस विमान को क्या थामे हुए है, कैसे भी?

तर्कहीन भय, अथवा तर्कसंगत, से हम भयभीत न हों । दाऊद, राजा शाउल से जो लोगों द्वारा उसकी प्रसिद्धि के कारण लगातार उसका पीछा कर रहा था, भयभीत होकर एक भगोड़े की तरह रहा । दाऊद ने परमेश्वर के साथ अपनी संगति में वास्तविक दिलासा और विश्राम प्राप्त किया । भजन 34 में उसने लिखा, “मैं यहोवा के पास गया, तब …. मुझे पूरी रीति से निर्भय किया”(पद.4) ।

हमारा स्वर्गिक पिता सर्वबुद्धिमान और सर्वज्ञानी है । जब भय हमें अभिभूत करना आरम्भ करे, हमें ठहर कर स्मरण करना होगा कि वह हमारा परमेश्वर हमें सदा थामे रहेगा ।