प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उत्तर केरोलीना के तट से 48.280 किलोमीटर दूर छोटे कुतुबनुमा से 27 नाविकों के जीवन बच गए । वाल्डमार सेमेनोव, एक सेवानिवृत व्यापारी नाविक, एस.एस. एलकोवा गाइड(जहाज) पर कनिष्ठ अभियन्ता था, जब जर्मनी की पनडुब्बी जल के ऊपर आकर इस पर गोलियाँ दागनी शुरु कर दी । जहाज निशाना बना, उसमें आग लग गई, और वह डूबने लगा । सेमेनोव और उसके कर्मियों ने कुतुबनुमा लगे हुए जीवन नौकाओं का उपयोग कर तट के निकट पहुँचने का प्रयास किया । तीन दिन बाद, इन लोगों को बचा लिया गया ।

भजनकार ने परमेश्वर के लोगों को ताकीद दी कि उसका वचन भरोसेमन्द “कुतुबनुमा” है । उसने उसकी तुलना एक दीपक से की । उन दिनों में, जैतून के तेल का टिमटिमाता दीपक एक यात्री को केवल अगला कदम बढ़ाने लायक प्रकाश देता था । भजनकार के लिए, परमेश्वर का वचन ऐसा ही एक दीपक था, जो परमेश्वर का अनुसरण करनेवाले के मार्ग को आलोकित करने हेतु पर्याप्त था(भजन 119:105)। जब भजनकार जीवन के पथ पर अन्धेरे में भटक रहा था, उसका भरोसा था कि परमेश्वर, अपने वचन के मार्गदर्शन में, दिशा प्रदान करेगा ।

जब हम जीवन में अपने अभिप्राय खो देते हैं, परमेश्वर हमें अपना भरोसेमन्द वचन रूपी कुतुबनुमा देता है, कि हम उसके साथ गहरी संगति रख सके ।