क्यों एक मदहोश चालक दुर्घटना से बच जाता है जबकि उसका सौम्य सवारी गम्भीर रूप से घायल हो जाता है? क्यों बुरे लोग सफल होते हैं जबकि भले लोग दुःख उठाते हैं? कितनी बार आप अपने जीवन में होनेवाली घटनाओं के विषय अस्पष्ट होकर पुकारते हैं, “क्या परमेश्वर चिन्ता नहीं करता है?”

हबक्कूक भी यहूदा में व्याप्त दुष्टता और अन्याय की दुःखद परिस्थिति को देखकर, समान प्रश्न से जूझता रहा(हब.1:1-4)। उसकी उलझन ने उसे परमेश्वर से पूछने को विवश किया कि वह कब इस स्थिति को सुधारेगा । परमेश्वर का उत्तर शुन्य और पेचीदा था ।

परमेश्वर ने कहा कि वह यहूदा को सुधारने के लिए कसदियों का उपयोग करेगा । कसदी अपने क्रूरता के लिए विख्यात थे(पद.7) । वे उपद्रव करते रहते थे(पद.9) और केवल अपनी सेना की वीरता और झूठे ईश्वरों के उपासक थे(पद.10-11) l

उन क्षणों में जब हम परमेश्वर के अभिप्रायों को नहीं समझते हैं, हमें उसके अपरिवर्ती चरित्र पर भरोसा करना चाहिए । हबक्कूक ने ऐसा ही किया । उसने माना कि परमेश्वर न्याय, करुणा, और सच्चाई का परमेश्वर है(भजन 89:14) । इस प्रक्रिया में, उसने परमेश्वर के चरित्र की संरचना से अपनी परिस्थिति को देखा, न कि अपनी परिस्थिति के संदर्भ से। उसने निष्कर्ष निकाला, “यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पाँव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊँचे स्थानों पर चलाता है” (हब. 3:19)।