मेरे कार्य के आरम्भिक दिनों में मेरा एक सहयोगी परमेश्वर का नाम व्यर्थ लेने में हर्षित होता था । वह विश्वास में नये मसीहियों का या उससे यीशु के विषय बातचीत करनेवालों का बेरहमी से मजा़क उड़ाता था । उस दिन जब मैं नये लोगों के पास और कार्य से सम्बन्धित नये स्थान पर गया, मुझे स्मरण है मैंने सोचा था कि वह यीशु का अनुयायी कभी नहीं बनेगा ।
दो वर्ष बाद मैं अपने पुराने कार्य स्थल पर गया । वह वहीं पर था, किन्तु मैंने ऐसा नाट्कीय परिवर्तन किसी व्यक्ति में नहीं देखा! यह व्यक्ति, विश्वास का इतना विरोधी, मसीह में “नई सृष्टि” का चलता-फिरता उदाहरण था(2 कुरिं. 5:17)। और अब, 30 वर्ष बाद, वह बताता फिरिता है कि किस तरह यीशु उससे “उसके स्थान पर मिला-पाप और सब कुछ में ।”
इससे मुझे महसूस होता है कि आरम्भिक मसीही पौलुस, उनके उग्र सतानेवाले में भी समान स्वभाव देखे होंगे-नयी सृष्टि का एक दिलचस्प उदाहरण(प्रेरितों 9:1-22) । उनके लिए जो स्वयं को उद्धार के परे देखते हैं यह दो उदाहरण महान आशा हैं!
यीशु ने पौलुस और मेरे सहयोगी को-और मुझे-खोज लिया । और वह निरन्तर “अनपहुँच” को खोजकर हमें नमूना देता है कि हम भी लोगों तक पहुँच सकते हैं ।
-रेण्डी किल्गोर परमेश्वर की पहुँच से कोई दूर नहीं है ।