क्या आपने कभी महसूस कि आपका जीवन कुछ लज्जाजनक, निन्दनीय, अथवा यहाँ तक कि अपराधिक होने के परिणामस्वरूप तबाह हो गया था-तभी आप नींद से जागते हुए समझते हैं कि वह तो केवल एक सपना था? किन्तु यदि वह केवल एक दुःस्वप्न नहीं होता तो? यदि वह स्थिति पूरी तौर से अत्यधिक वास्तविक होती तो-आपके लिए अथवा आपके किसी प्रेमी के लिए?
इसी स्थिति का सामना जॉर्ज मैक्डॉनेल्ड का 19वीं शताब्दी का उपन्यास द क्यूरेट अवेकनिंग करता है। यह एक पासवान की कहानी है जिसे मालूम होता है कि वह ऐसे परमेश्वर के पक्ष में बोलता आया है जिसके विषय वह आश्वास्त भी नहीं है कि वह उस पर विश्वास करता है। बाद में, उसे एक युवक के बिस्तर के पास बुलाया जाता है जो एक हत्या से जो उसने किया है त्रस्त होकर अपनी स्मरण शक्ति खो रहा है और मृत्यु के करीब है।
बाद के हृदयविदारक संघर्ष में, पासवान यह पाता है जो हम सब को जानना है। एक दुःस्वप्न से जागने के सुख की तुलना कदापी परमेश्वर की क्षमा की वास्तविकता के साथ नहीं की जा सकती है, जिसे हम ने सोचा वह इतनी अच्छी हो ही नहीं सकती।
जो करुणा हमें चाहिए वह हमें कहाँ मिलेगी? यह यीशु में है, जिसने, उस मरते हुए सहायता मांग रहे अपराधी से कहा, “आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा“(लूका 23:43)।