चीन के यून्न प्रान्त के एक पर्वतीय भूभाग के निवासियों के लिए जीवन कठिन है। उनके भोजन का मुख्य श्रोत मक्का एवं चावल है। किन्तु 2012 के मई महीने में एक कठोर सूखे से फसल सूख गए। चिन्तित होकर सूखे का अन्त करने हेतु लोगों ने अनेक अन्धविश्वासी रिवाजों का अभ्यास किया। सब कुछ असफल होने के बाद, लोगों ने पित्रों की आत्माओं को नाखुश करने का दोष गाँव के पाँच विश्वासियों पर लगाया।
इन पाँच विश्वासियों ने प्रार्थना की। जल्द ही आसमान काले हो गए और गर्जन सुनायी दी। सम्पूर्ण दोपहर और रात तक मूसलाधार वर्षा होती रही। फसल बच गए! जब कि गाँव के ज्यादातर लोगों ने परमेश्वर द्वारा भेजी गई वर्षा पर विश्वास नहीं किया, दूसरे विश्वास किये और परमेश्वर और यीशु के विषय जानना चाहा।
1 राजा 17 और 18 में हम इस्राएल में एक कठिन सूखे के विषय पढ़ते हैं। किन्तु यहाँ पर यह परमेश्वर के लोगों पर उसका न्याय था(17:1)। उन्होंने अपने फसलों के लिए वर्षा हेतु कनानी देवता, बाल की उपासना आरम्भ की थी। तब परमेश्वर ने, अपने नबी एलियाह द्वारा बताया कि वर्षा निर्धारित करनेवाला सच्चा परमेश्वर वह है।
हमारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को सुनकर हमारे विनतियों का उत्तर देना चाहता है। और यद्यपि हम सर्वदा उसके समय और उद्देश्यों को समझ नहीं पाते, परमेश्वर सर्वदा हमारे जीवनों के लिए सर्वश्रेष्ठ देता है।