स्वास्थ्य समस्याओं गम्भीर होने से पूर्व, डॉक्टर नियमित शारीरिक जाँच चाहते हैं। यीशु द्वारा बताये गए महान आज्ञा में जड़वत प्रश्न पूछकर हम भी अपने आध्यात्मिक स्वास्थ्य की जाँच कर सकते हैं(मरकुस 12:30)।

क्योंकि परमेश्वर ने पहले मुझसे प्रेम किया क्या मैं भी उससे अपने सम्पूर्ण मन से प्रेम करता हूँ? प्रबल क्या है, सांसारिक लाभ हेतु मेरी इच्छा, अथवा मसीह में प्राप्त धन?(कुलु. 3:1)। उसकी इच्छा है उसकी शान्ति हमारे हृदयों पर राज्य करे।

क्या मैं अपने सारे प्राण से परमेश्वर से प्रेम करता हूँ? क्या मैं परमेश्वर की आवाज़ सुनता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या मैं आत्म-केन्द्रित इच्छाओं से दूरी बना रहा हूँ?(पद.5)। क्या मैं और दयालु, कृपालु, नम्र, सुशील, और धीरजवन्त बन रहा हूँ, (पद.12)।

क्या मैं अपनी सारी बुद्धि से परमेश्वर से प्रेम करता हूँ? क्या मैं उसके पुत्र की संगति पर केन्द्रित हूँ या मेरी बुद्धि भटकती है?(पद.2)। क्या मेरे विचार समस्या उत्पन्न करते हैं या हलं? एकता या फूट? क्षमा या बदला?(पद.13)।

क्या मैं अपनी सारी शक्ति से परमेश्वर से प्रेम करता हूँ? क्या मैं निर्बल होने को तैयार हूँ कि परमेश्वर अपनी सामथ्र्य दिखाए?(पद.17)। क्या मैं आत्मा में प्रबलता हेतु उसके अनुग्रह पर निर्भर हूँ?

जब हम “मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने“ देंगे(पद.16), वह हमें परस्पर निर्माण हेतु उपयुक्त बनाएगा और हम आध्यात्मिक रूप से योग्य और उपयोगी बनेंगे।