जनवरी 1915 में एनड्यूरेन्स नामक जहाज अंटार्कटिका तट से दूर बर्फ में फंस कर नष्ट हो गया। अर्नेश्ट शेकेलटन के नेतृत्व में, ध्रुवीय खोजियों का समूह, तीन छोटे जीवन रक्षक नौकाओं के सहारे सुरक्षित एलिफेन्ट द्वीप पहुँच गए। इस निर्जन द्वीप पर फंसे हुए, सामान्य जल मार्ग से दूर, उनके पास एक ही आशा थी। अप्रैल 24, 1916 को, 22 लोगों ने देखा जब शेकेलटन और पाँच साथी एक छोटे नौका में 800 मील दूर दक्षिण जॉर्जिया नामक एक द्वीप के लिए निकल पड़े। असंगत परिस्थितियाँ असम्भव थीं, और उनके पराजित होने पर, मौत निश्चित थी। कितना आनन्द मिला जब चार महीने बाद क्षितिज पर नौका के अग्रभाग से शेकेलटन की आवाज़ आई, “क्या आप सब सुरक्षित है?“ और उत्तर आया, “सब सुरक्षित! सब ठीक!”
किसने उन लोगों को इन महीनों में इकट्ठा और जीवित रखा? एक व्यक्ति में विश्वास और आशा। उनका विश्वास था कि शेकेलटन मार्ग ढूंढ़कर उनको बचा लेगा।
विश्वास और आशा का मानवीय उदाहरण इब्रानियों 11 के नायकों का विश्वास प्रतिध्वनित करता है। उनका विश्वास “आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण“ उनकों महा कठिनाई और परीक्षाओं में स्थिर रखा(इब्रा.11:1)।
अपनी समस्याओं की क्षितिज़ पर देखते हुए, हम निराश न हों। हम एक व्यक्ति-यीशु, हमारा परमेश्वर और उद्धारकर्ता में अपने विश्वास की निश्चियता पर आशा रखें।