खराब विद्युत वायरिंग से लगी आग ने हमारा नया घर जला डाला। लपटों ने एक घण्टे में घर को मलबे में बदल दिया। एक और दिन, रविवार को चर्च से घर लौटने पर हमने पाया कि कोई हमारे घर में घुसा था और हमारी कुछ सम्पत्ति चुरा ली थी।

हमारे अपूर्ण संसार में, भौतिक सम्पत्ति की हानि अत्यधिक सामान्य है-गाडि़याँ चोरी हो जाती हैं या टकरा जाती हैं, जहाज़ डूब जाते हैं, इमारत गिर जाते हैं, घर डूब जाते हैं, और व्यक्तिगत् सम्पत्ति चोरी हो जाती है। सांसारिक धन में अपना भरोसा न रखने की यीशु की शिक्षा अत्यधिक अर्थपूर्ण लगती है।

यीशु ने एक व्यक्ति की कहानी बतायी जो अत्यधिक धन इकट्ठा करके उसे अपने लिए रखने का निर्णय किया(लूका 12:16-21)। “चैन कर,“ उस व्यक्ति ने स्वयं से कहा; “खा, पी, सुख से रह“(पद.19)। किन्तु उस रात उसने अपने जीवन के साथ, सब कुछ की हानि उठायी। सारांश में, यीशु ने कहा, “ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं“(पद.21)।

सांसारिक सम्पत्ति अस्थायी है। जो हमारा परमेश्वर दूसरों के लिए करने की योग्यता देता है, को छोड़कर कुछ भी स्थायी नहीं। सुसमाचार फैलाने के लिए अपना समय और साधन देना, तनहा लोगों से मिलना, आवश्यकतामन्दों की सहायता करना स्वर्ग में धन इकट्ठा करने के कुछ एक तरीके हैं(मत्ती 6:20)।