लंडन में वेस्टमिनिस्टर एबे(चर्च) की समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। 10वीं शताब्दी में, वहाँ पर सन्त बेनेडिक्ट समाज के मठवासियों द्वारा आरम्भ की गयी दैनिक उपासना परम्परा आज तक है। एबे अनेक प्रसिद्ध लोगों का कब्रस्थान भी है, और ईसा.सन् 1066 से प्रत्येक अंगे्रज राजा का राजाभिषेक इसी स्थान पर हुआ है । वास्तव में, उनमें से 17 राजाओं का कब्र भी वहीं पर है-शासन का आरम्भ और अन्त एक ही जगह ।
उनका अन्तिम संस्कार चाहे जितना भी भव्य रहा हो, दुनिया के अगुवे उदय और अस्त होते हैं; वे जीवित रहते और मर जाते हैं । किन्तु एक और राजा, यीशु यद्यपि एक बार मरा, दफन नहीं है। अपने प्रथम आगमन में, यीशु को काँटों का ताज़ पहनाकर “यहूदियों का राजा“ के रूप में क्रसित किया गया(यूहन्ना 19:3,19)। इसलिए कि यीशु पुनरुत्थान द्वारा विजयी हुआ, हम मसीह के विश्वासियों के पास कब्र के परे आशा और आश्वासन भी है कि हम उसके साथ सर्वदा रहेंगे। यीशु ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा, और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा“(11:25-26)।
हम पुनरुत्थित राजा के सेवक है! हम आनन्दपूर्वक अभी उसके शासनाधीन हो जाएँ जब हम उस दिन की आशा देख रहे हैं जब “हमारा परमेश्वर सर्वशक्तिमान“ अनन्तता तक राज्य करेगा(प्रका. 19:6)।