मेरी बेटी 15 वर्ष की उम्र में भाग गयी। वह तीन सप्ताहों तक बाहर रही। वह तीन सप्ताह हमारे जीवन का सबसे लम्बा समय था। हमने उसे सभी जगह तलाशा और कानून लागू करनेवालों से और मित्रों से सहायता मांगी। उन निराशा से भरे दिनों में, मेरी पत्नी और मैंने प्रार्थना में ठहरने का महत्व जाना। हमारी ताकत और साधन समाप्त होनेवाले थे। हमें परमेश्वर पर भरोसा करना था।
वह हमें पिता दिवस पर मिली। हम एक रेस्ट्रान्ट के पार्किंग स्थल पर थे, और रात्री-भोजन करने जा रहे थे, जब मेरा फोन बजा। एक दूसरे रेस्ट्रान्ट की महिला वेटर ने उसे देखा था। हमारी बेटी केवल तीन इमारत की दूरी पर थी। हम उसे सकुशल घर ले आए।
प्रार्थना करते समय हमें परमेश्वर के समक्ष ठहरना होगा। हमें ज्ञात नहीं होगा कैसे अथवा कब वह उत्तर देगा, किन्तु हम निरन्तर अपना हृदय उसके सामने खोलें। कभी-कभी हमारी आशा के विपरीत उत्तर आता है। बातें बदतर हो सकती हैं। किन्तु हमें धीरज रखना होगा, विश्वास और अनुनय करते रहना होगा।
इन्तजा़र कठिन है, किन्तु अन्तिम परिणाम, जो भी हो, उसकी अच्छाई के लिए होगा। दाऊद ने इस प्रकार लिखा: “तेरे नाम को जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तू ने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया“(भजन 9:10)। खोजते रहें। भरोसा करते रहें। मांगते रहें। प्रार्थना करते रहें।