“उसकी सोच है वह कुछ है!“ हमारे एक संगी मसीही के विषय यह मेरे मित्र का आंकलन था। हमारी सोच में वह धमण्डी था। उसके किसी गम्भीर दुष्कर्म में गिरफ्तारी से हम दुखित हुए। स्वयं को ऊँचा करके, उसे समस्या ही मिली। हमने पहचाना कि ऐसा हमारे साथ भी सम्भव है।

अपने हृदयों में घमण्ड के भयानक पाप को कम आंकना सरल है। हम जितना अधिक जानते और सफलता पसन्द करते हैं, उतना अधिक “हम कुछ हैं“ की सम्भावना बढ़ती है। धमण्ड हमारे स्वभाव के मूल में है।

बाइबिल, एज्रा को “मूसा की व्यवस्था के विषय …. निपूण शास्त्री“ बताती है(एज्रा 7:6)। राजा अर्तक्षत्र ने उसे इब्री निर्वासितों की यरूशलेम वापसी अभियान का अगुआ नियुक्त किया। एज्रा धमण्ड के पाप में पड़नेवाला प्रथम उम्मीद्वार बन सकता था। किन्तु नहीं। एज्रा परमेश्वर की व्यवस्था को जानता और उसपर चलता था।

यरूशलेम पहुँचकर, एज्रा ने जाना कि यहूदी पुरुषों ने गैर-यहूदी स्त्रियों से विवाह कर, परमेश्वर के स्पष्ट निर्देश को चुनौति दी है(9:1-2)। उसने दुःखित होकर अपने कपड़े फाड़कर आन्तरिक पश्चाताप् किया(पद.5-15)। एक ऊँचा उद्देश्य-परमेश्वर और उसके लोगों से प्रेम-एज्रा के ज्ञान एवं जिम्मेदारी का मार्गदर्शक था। उसकी प्रार्थना थी, “देख, हम तेरे सामने दोषी हैं, इस कारण कोई तेरे सामने खड़ा नहीं रह सकता“(पद.15)।

एज्रा ने उनके पापों का विस्तार समझा। किन्तु दीन होकर पश्चाताप् किया और क्षमाशील परमेश्वर की भलाईयों में भरोसा किया।