कोरी टेन बूम, अपनी आत्मकथा में 1940 के दशक के आरम्भ में नाज़ी नज़रबंदी शिविर में अपनी बहन बेट्सी और अपने भयावह समय का वर्णन करती है l एक जाँच के दौरान उनको निर्वस्त्र किया गया l कोरी कलुषित एवं त्यागी हुई महसूस की l अचानक, उसने याद किया कि यीशु को भी नग्नावस्था में क्रूसित किया गया था l आश्चर्य और उपासना से प्रभावित होकर, कोरी ने अपनी बहन को फुसफुसाया, “बेट्सी, उन्होंने उसके कपडे भी ले लिए थे l” बेट्सी लम्बी सांस लेकर बोली, ”ओह, कोरी, …. और मैंने उसे कभी धन्यवाद नहीं दिया l”
समस्या, संघर्ष, एवं संकट पूर्ण संसार में हमारे लिए कृतघ्न होना सरल है l हर दिन हमारे पास शिकायत करने के अनेक कारण हैं l फिर भी, भजन 100 परमेश्वर के लोगों को आनंदित, खुश, एवं धन्यवादी रहने का आह्वान करता है, क्योंकि, “उसी ने हमको बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा और उसकी चराई की भेड़े है”(पद.3) l स्मरण करते हुए हम कौन हैं, हम धन्यवादी हो सकते हैं l सबसे ख़राब समय में भी, हम अपने लिए मसीह के प्रेम एवं बलिदान को याद कर सकते हैं l
यह क्रूर संसार आपके धन्यवादी ह्रदय को छीन न ले l स्मरण रखे आप परमेश्वर की संतान हैं, और उसने क्रूस पर अपने कार्य द्वारा आपको अपनी भलाई एवं करुणा दिखाई है l