अप्रैल 25, 2015, Anzac(Australian and New Zealand Army Corps) का 100 वां वर्षगांठ था l ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़िलैंड मिलकर दोनों देशों के सैनिकों के सम्मान में यह दिन मानते हैं, जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में साझा लड़ाई लड़ी थी l यह उस समय को याद दिलाता है जब दोनों ही देशों को संग में युद्ध का खतरा झेलना पड़ा था; दोनों ही देशों के सैनिकों ने मिलकर लड़ाई लड़ी थी l

मसीह के अनुयायियों के लिए मिलकर जीवन के संघर्षों का सामना करना बुनियादी है l जिस तरह पौलुस चुनौति देता है, “तुम एक दूसरे का भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो”(गलातियों 6:2) l जीवन की चुनौतियों में मिलकर कार्य करने के द्वारा हम कठिन समय में परस्पर सामर्थ्य एवं सहायता दे सकते हैं l परस्पर मसीह की देखभाल एवं स्नेह प्रदर्शित करने के द्वारा, जीवन की कठिनाइयाँ हमें मसीह के करीब और एक दूसरे के करीब लाये – हमारे दुखों में हमें अलग न करे l

परस्पर संघर्ष बाँटकर, हम मसीह के प्रेम का नमूना प्रगट कर रहे हैं l हम यशायाह में पढ़ते हैं, “निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुखों को उठा लिया”(यशा.53:4) l चाहे हम जितना कठिन संघर्ष का सामना कर रहे हों, हम अकेले सामना नहीं करते हैं l