भाषा पर अपनी पुस्तक में ब्रिटिश राजनयिक लांसलोट ओलिफैंट(1881-1965) लिखता है कि अनेक विद्यार्थी जांच परीक्षा में सही उत्तर लिखकर भी उपयोग में नहीं ला पाते l “ऐसा अपचित ज्ञान कम ही उपयोगी है,” ओलिफैंट ने कहा l

लेखक बरनाबस पाईपर ने अपने जीवन में सामानांतर बात महसूस किया : उसने कहा, “मेरी समझ में मैं परमेश्वर के निकट हूँ क्योंकि मुझे सभी उत्तर ज्ञात थे किन्तु मेरी यह सोच कि यह तो यीशु के साथ सम्बन्ध जैसे ही है, धोखा था l”

मंदिर में, यीशु का सामना लोगों से हुआ जिन्होंने सही उत्तर जानने का दावा किया l अब्राहम के वंसज होने का दावा करके भी परमेश्वर-पुत्र पर अविश्वास करते थे l

“यदि तुम अब्राहम की संतान होते,” यीशु ने कहा, “तो अब्राहम के समान काम करते” (यूहन्ना 8:39) l और वह क्या था? अब्राहम “यहोवा पर विश्वास किया, … उसके लेखे में धर्म गिना” (उत्पत्ति 15:6) l फिर भी, सुननेवालों ने विश्वास नहीं किया l “हमारा एक पिता है अर्थात् परमेश्वर,”उन्होंने कहा (यूहन्ना 8:41) l यीशु ने उत्तर दिया, “जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है” (पद. 47) l

अगाध रूप से उसका “सामना परमेश्वर के अनुग्रह और यीशु से होने से पूर्व, पाईपर के समक्ष किस तरह बातें “चूर-चूर हो गयीं l” जब हम परमेश्वर की सच्चाई को हमें रूपांतरित करने देते हैं, हम यीशु का परिचय संसार से कराते हैं l