हास्य कलाकार फ्रेड एलन ने कहा, “एक यशस्वी व्यक्ति वह है जो प्रसिद्धि हेतु सम्पूर्ण जीवन मेहनत करता है, उसके बाद काला चश्मा पहनता है कि कोई उसे पहचान न सके l” प्रसिद्धि अक्सर व्यक्तिगतता की हानि के साथ तवज्जो का अनवरत सनक पैदा करता है l
यीशु द्वारा शिक्षण और चंगाई की अपनी सेवा में, वह लोगों की आखों में चढ़ गया भीड़ मदद मांगने आयी l किन्तु यीशु जानता था कि सामर्थ्य और परिप्रेक्ष्य बनाए रखने के लिए एकाकीपन ज़रूरी था l
जब यीशु के 12 शिष्य “परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने और बीमारों को अच्छा करने” के अपने सफल मिशन से लौटे वह उन्हें विश्राम स्थान पर ले गया (लूका 9:2,10) l जल्द ही, हालाँकि, भीड़ उनके पीछे हो ली और यीशु आनंद के साथ उनसे मिला l वह “उनसे परमेश्वर के राज्य की बातें करने लगा, और जो चंगे होना चाहते थे उन्हें चंगा किया” (पद.11) l भोजन ढूढ़ने हेतु उनको भेजने की जगह, प्रभु ने 5,000 को खुले में वनभोज का आनंद दिया! (पद. 12-17) l
यीशु जिज्ञासु और दुखित लोगों के तनाव से प्रभावशून्य नहीं था, किन्तु वह पिता के साथ विश्राम और प्रार्थना का समय निकलकर सार्वजनिक सेवा और व्यक्तिगत् एकाकी के बीच संतुलन बनाए रखता था (लूका 5:16) l
काश जब हम उसके नाम में दूसरों की सेवा करते हैं, प्रभु का अनुसरण करें l