समाचार स्तब्ध करनेवाला था l आंसू इतने शीघ्र निकल आए कि वह उन्हें रोक न सकी l उसके पास अनेक प्रश्न थे और भय ने उसको अभिभूत करना चाहा l जीवन सामान्य था, अचानक अवरुद्ध हो गया और बिना बताए हमेशा के लिए बदल गया l
त्रासदी अनेक रूप में आ सकती है – किसी प्रिय की मृत्यु, बीमारी, धन की या हमारी जीविका की हानि l और यह किसी के साथ किसी समय हो सकता है l
यद्यपि नबी हबक्कूक जानता था कि त्रासदी आनेवाली है, फिर भी वह भयभीत हुआ l जब उसने यहूदा के राज्य पर बेबीलोन के हमले का इंतज़ार किया, उसका ह्रदय धड़का, उसके होंठ और उसके पैर काँपे (हब. 3:16) l
त्रासदी के समक्ष भय एक सामान्य भाव है, किन्तु यह हमें गतिहीन न करे l जब हम अपने ऊपर आनेवाले संकट को समझ नहीं पाते, हम परमेश्वर पर भरोसा रख सकते हैं जिसने इतिहास में कार्य किया है (पद.3-15) l हबक्कुक ने वही किया l इससे उसका भय समाप्त नहीं हुआ, किन्तु प्रभु की प्रशंसा करने से आगे बढ़ने हेतु साहस मिला (पद.18) l
हमारा परमेश्वर जिसने वर्षों से अपने को विश्वासयोग्य साबित किया है हमेशा हमारे साथ है l इसलिए कि उसका चरित्र नहीं बदलता, हम भय में भी विश्वास के दृढ़ आवाज़ से कह सकते हैं, “यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है!” (पद.19) l