जोन अपने बच्चों के कुछ कठिन समस्या से जूझ रही थी, तभी वह एक उपासना में गई l क्षीण, वह मातृत्व “छोड़ना” चाहती थी l उसी समय उपदेशक भागने के विचारवालों के लिए प्रोत्साहन बाँटने लगा l सुने गए चार विचारों ने उसे बढ़ाया :

ऊपर देखें और प्रार्थना करें l आसाप ने प्रार्थना करके अपनी भावनाओं को भी प्रगट किया (भजन 77:9-10) l हम परमेश्वर को सब कुछ बताकर ईमानदार बनें l उससे सब कुछ पूछें l उसका उत्तर शायद तुरंत या हमारे अनुसार न हो, किन्तु वह आलोचना नहीं करेगा l

पीछे देखें और अतीत में अपने और दूसरों के लिए परमेश्वर के कार्य स्मरण करें l आसाप ने परमेश्वर से अपने दुःख के साथ-साथ अपने और परमेश्वर के लोंगों लिए उसकी सामर्थ्य और कार्यों को याद किया l उसने लिखा, “मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; … अद्भुत कामों का स्मरण करूंगा” (पद.11) l

आगे देखें l भलाई के विषय विचारें जो उस स्थिति से मिल सकती है l आप क्या सीखेंगे? परमेश्वर क्या करना चाहेगा? क्योंकि उसके मार्ग सिद्ध हैं, आप क्या सोचते हैं कि वह करेगा?

पुनः देखें l इस समय अपने विश्वासी आँखों से स्थिति को देखें l अपने को ताकीद दें कि वह आश्चर्य करनेवाला भरोसेमंद परमेश्वर है (पद.4) l

ये विचार हमें यीशु संग विश्वास की यात्रा में बढ़ने का परिप्रेक्ष्य प्रदान करें l