इस्राएल के नागरिकों को सरकार के साथ कुछ समस्या थी l यह ई.पु. 500 वीं शताब्दी थी और यहूदी लोग बेबीलोन द्वारा ई.पू. 586 में ध्वस्त अपने मंदिर को बनाना चाहते थे l हालाँकि, उस क्षेत्र का राज्यपाल उनके इस कार्य के विषय निश्चित नहीं था, इसलिए उसने राजा दारा के पास एक पत्र भेजा (एज्रा 5:6-17) l
पत्र में, राज्यपाल ने लिखा कि उन्होंने यहूदियों को मंदिर निर्माण करते देखा और राजा से पूछा क्या उनके पास यह कार्य करने की अनुमति थी l पत्र में यहूदियों का आदरपूर्ण प्रतिउत्तर भी अंकित था कि वास्तव में एक पूर्व राजा (कुस्रू) ने उनको पुनर्निर्माण की अनुमति दी थी l जब राजा ने उनकी कहानी की जांच की, उसने उसे सही पाया l राजा कुस्रू ने उन्हें निर्माण की आज्ञा दी थी l इसलिए दारा ने उन्हें पुनर्निर्माण की ही नहीं किन्तु उसके लिए पूरा खर्च भी दिया! (देखें 6:1-12) l यहूदियों द्वारा मंदिर निर्माण के बाद, उन्होंने “आनंद” मनाया क्योंकि वे जानते थे कि परमेश्वर ने “राजा का मन उनकी ओर फेर” दिया था (6:22) l
जब हम किसी स्थिति को देखते हैं जिसे संबोधित करना अनिवार्य है, हम परमेश्वर का आदर करते हैं जब हम अपने विषय के लिए आदरपूर्ण तरीके से आग्रह करते हैं, भरोसा करते हैं कि वह हर स्थिति पर नियंत्रण रखता है, और हल के लिए धन्यवाद देते हैं l