हमारे बगीचे में छोटी चिड़ियों को दाना चुगाने का बर्तन है, और हम इन छोटी चिड़ियों को मीठा पानी पीते हुए देखना पसंद करते हैं l हाल ही में, हालांकि, हम छोटे सैर पर जाते समय उसमें सामग्रियाँ डालना भूल गए l लौटने पर, वह पूरी तौर सूखा था l बेचारे पक्षी! मैंने सोचा l मेरी भूल के कारण, उन्हें पोषण नहीं मिला l तब मुझे ताकीद मिली कि परमेश्वर उन्हें भोजन देता है l

कभी-कभी हम महसूस करते हैं कि जीवन की सभी मांगों से हमारी ताकत ख़त्म हो गई है और कोई पूरा करनेवाला नहीं है l किन्तु हमारी आत्माओं को परमेश्वर पोषित करता है l

हम भजन 36 में परमेश्वर की करुणा के विषय पढ़ते हैं l यह उस पर भरोसा करनेवालों और पूर्ण संतुष्ट लोगों का चित्रण है l परमेश्वर उनको “सुख की नदी में से” जल पिलाता है (पद.8) l वह जीवन का सोता है!

हम प्रतिदिन अपनी आवश्यकताओं के लिए परमेश्वर के पास जा सकते हैं l जैसे चार्ल्स स्पर्जन लिखता है, “मेरे विश्वास के झरने और मेरी सब रियायत; मेरे जीवन के झरने और सम्पूर्ण आनंद; मेरी गतिविधि के झरने और मेरे सब सही कार्य; मेरी आशा के झरने, और उसके सम्पूर्ण स्वर्गिक प्रत्याशा, सब मेरे परमेश्वर आप में निहित हैं l”

हम उसके पर्याप्त आपूर्ति से पूर्ण हों l उसका झरना कभी नहीं सूखेगा l