दाऊद और उसके 400 योद्धा एक समृद्ध निर्दयी, नाबाल को खोजते रहे जिसने कठोरता से उनकी मदद नहीं की l दाऊद की मुलाकात नाबाल की पत्नी, अबीगैल से नहीं होने पर वह उसकी हत्या कर दिया होता l वह विनाश से बचाव हेतु सेना के लिए पर्याप्त भोजन लेकर गयी l उसने दाऊद को याद दिलाया कि बदले की अपनी योजना को जारी रखकर वह दोष भावना से ग्रस्त रहेगा (1 शमू. 25:31) l दाऊद ने उसके सही फैसले के लिए उसको आशीषित किया l
दाऊद का क्रोध जायज था-उसने नाबाल के चरवाहों को बचाया था (पद.14-17) एवं उसे भलाई की जगह बुराई मिली थी l हालाँकि, उसका क्रोध उससे पाप करवाने जा रहा था l दाऊद का पहला सहजज्ञान नाबाल की हत्या करना थी, यद्यपि वह जानता था परमेश्वर हत्या और शत्रुता की अनुमति नहीं दिया था (निर.20:13; लैव्य. 19:18) l
अपमानित होने पर, मानव आचरण के लिए परमेश्वर की इच्छा के साथ अपने सहजज्ञान की तुलना करना भला है l हम लोगों को शब्दों से आहात करने, अपने को अलग करने, या अन्य तरीकों से बचने हेतु प्रवृत्त हो सकते हैं l जबकि, विनीत उत्तर का चयन हमें पछताने से रोकेगा, और सबसे महत्वपूर्ण वह परमेश्वर को प्रसन्न करेगा l जब अपने संबंधों में परमेश्वर को आदर देने का हमारा विचार हो, शत्रु भी हमारे साथ शांति से रहेंगे (देखें नीति. 16:7)l