मेरे पति के हृदय शल्यचिकित्सा पश्चात्, मैं उनके निकट सारी रात बेचैन रही l बीच-सुबह मुझे निर्धारित बाल कटवाना याद आया l मैंने कहा, “मुझे रद्द करना होगा l”

“माँ, केवल अपना चेहरा धोकर चली जाओ,” मेरी बेटी बोली l

“नहीं, नहीं,” कोई बात नहीं l मुझे यहाँ होना ज़रूरी है l”

मैं यहाँ रहूँगी,” रोज़ी बोली l स्वयं की देखभाल, माँ … स्वयं की देखभाल l अपनी देख-रेख करके आप पापा के लिए अधिक उपयोगी होंगी l

मूसा इस्राएलियों का अकेला न्यायी होकर थक रहा था l यित्रो ने अपने दामाद को चिताया : [तू] निश्चय थक [जाएगा] … यह काम … बहुत भारी है; तू इसे अकेला नहीं कर सकता” (निर.18:18) l उसने मूसा को अपने काम दूसरों को सौंपकर बोझ बांटना सीखाया l

यद्यपि एक मसीही के लिए यह असंगत लगे, स्वस्थ्य जीवन हेतु स्वयं की देख-रेख महत्वपूर्ण है (मत्ती. 22:37-39; इफि.5:29-30) l हाँ, हमें सर्वप्रथम परमेश्वर से और दूसरों से भी प्रेम करना है, किन्तु हमें अपने शरीर और आत्मा की तरोताज़गी हेतु पर्याप्त विश्राम भी चाहिए l कभी-कभी स्वयं की देख-रेख का अर्थ है शालीनतापूर्वक दूसरों से मदद लेकर अपने बोझ कम करना l

यीशु अक्सर विश्राम एवं प्रार्थना के लिए अलग चला जाता था (मरकुस 6:30-32) l उसके आदर्श का अनुसरण करके, हम अपने संबंधों में और प्रभावशाली होंगे और दूसरों की बेहतर देख-भाल कर सकेंगे l