अप्रैल 4, 1968, अमरीकी नागरिक अधिकार लीडर डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर, की हत्या हुई, जिसके परिणामस्वरुप लाखों क्रोधित हुए और उनका मोह भंग हुआ l इंडियनेपुलिस में, एक अफ्रीकी-अमरीकी भीड़ रोबर्ट एफ. केनेडी को सुनने आयी l बहुतों ने नहीं सुना था, इसलिए केनेडी को यह त्रासदीपूर्ण खबर बतानी पड़ी l उन्होंने उनके दुःख के साथ-साथ अपने भाई, राष्ट्रपति जॉन ऍफ़. केनेडी की हत्या की स्थायी पीड़ा स्वीकारते हुए शांति की अपील की l

उसके बाद केनेडी ने अस्कलास (526-456 ई.पू.) द्वारा लिखित एक अति प्राचीन कविता का रूपांतरण प्रस्तुत किया l

हमारी निद्रा में भी, न भूलनेवाली पीड़ा हमारे हृदय में बूंद-बूंद टपकती है जब तक, हमारी निराशा में, हमारी इच्छा के विरुद्ध, परमेश्वर के विस्मयकारी अनुग्रह द्वारा बुद्धिमत्ता नहीं पहुँचता l

“परमेश्वर के विस्मयकारी अनुग्रह द्वारा बुद्धिमत्ता” अद्भुत कथन है l अर्थात् परमेश्वर का अनुग्रह हमें विस्मय से भरकर जीवन के कठिनतम क्षणों में बुद्धिमत्ता में बढ़ने का अवसर देता है l

याकूब लिखता हैं, “यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो तो परमेश्वर से मांगे, जो … सब को उदारता से देता है” (याकूब 1:5) l याकूब के अनुसार यह बुद्धिमत्ता कठिनाई की मिट्टी में उगता है (पद.2-4), क्योंकि वहाँ हम परमेश्वर की बुद्धिमत्ता से सीखते हुए, उसके अनुग्रह में शांति पाते हैं (2 कुरिं. 12:9) l जीवन के सबसे अंधेरे क्षणों में, हम पाते हैं जो हमें चाहिए l