हेनरी सप्ताह में 70 घंटे कार्य करता था l वह अपना कार्य पसंद करता था और अच्छी आय के साथ अपने परिवार की ज़रूरतों को अच्छी तरह पूरा करता था l वह हमेशा रुकना चाहता था किन्तु विफल l एक शाम वह कंपनी में सर्वोच्च पद प्राप्ति की खुशखबरी लेकर घर आया l किन्तु कोई न मिला l वर्षों के बीतने के साथ, उसके बच्चे बड़े होकर दूसरे स्थानों में रहने लगे थे, उसकी पत्नी ने अपनी नयी जीविका खोज ली थी l कोई नहीं था जिसके साथ वह खुशखबरी बाँटता l
सुलैमान जीवन और कार्य के मध्य संतुलन बनाने की ज़रूरत बताता है l उसने लिखा, “मुर्ख छाती पर हाथ रखे रहता, और अपना मांस खाता है” (सभो. 4:5) l हम आलसी होना नहीं चाहते हैं, किन्तु हम केवल कार्य करनेवाला नहीं बनना चाहते हैं l “चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो” (पद.6) l सफलता की वेदी पर संबंधों का बलिदान मुर्खता है l उपलब्धि क्षणभंगुर है, जबकि सम्बन्ध ही जीवन को सार्थक, लाभप्रद, और आनंदमय बनाते हैं (पद.7-12) l
हम बुद्धिमत्ता से समय को बाँटकर जीने के लिए कार्य करना सीखें और कार्य करने के लिए जीना नहीं l जब हम उसको प्रावधानकर्ता मानकर उसे खोजेंगे और उस पर भरोसा करेंगे प्रभु हमें बुद्धिमत्ता देगा l