नेजाहुआलकोयोट (1402-1472) के पास कठिन उच्चारण वाला, किन्तु अर्थपूर्ण नाम था l अर्थ है “भूखा कोयोट,” और इस व्यक्ति की लेखनी में आत्मिक भूख दिखती है l यूरोपीय लोगों के आने से पूर्व, उसने मेक्सिको का कवि और शासक होकर लिखा, “वास्तव में मैं जिन ईश्वरों की उपासना करता हूँ, पत्थर की अनबोलती मूर्तियाँ हैं जो अनुभव नहीं करती … कोई बहुत सामर्थी, गुप्त, और अज्ञात ईश्वर सम्पूर्ण विश्व का रचयिता है l वह ही दुःख में मुझे सांत्वना और घबराहट में मेरी सहायता कर सकता है जैसे मेरा हृदय महसूस करता है; मैं उसे मददगार और सुरक्षा देनेवाले के रूप में चाहता हूँ l”

हम नहीं जानते कि नेजाहुआलकोयोट जीवनदाता को पहचाना था या नहीं l किन्तु अपने शासनकाल में उसने “चित्रकारी करनेवाले परमेश्वर” के नाम पिरामिड बनाया और अपने शहर में मानव बलिदान पर रोक लगा दी l

भजन 42 के लेखकों ने पुकारा, “जीवते ईश्वर, … का मैं प्यासा हूँ” (पद.2) l प्रत्येक मानव सच्चे परमेश्वर को चाहता है, जैसे “हिरणी नदी के जल के लिए हांफती है” (पद. 1) l

आज अनेक कोयोट हैं जिन्हें मालूम है कि प्रसिद्धि, धन, और संबंधों की मूर्तियाँ उनके आत्माओं का खालीपन नहीं भर सकती हैं l जीवित परमेश्वर स्वयं को मसीह द्वारा प्रगट किया है, एकलौता जो हमें अर्थ और परिपूर्णता देता है l यह उनके लिए सुसमाचार है जो चीज़ों को ख़ूबसूरत बनाने वाला परमेश्वर है l