जो पुस्तक मैं रही थी उसे देखकर मेरी सहेली चौंक गयी l “कितना सूना शीर्षक है?” उसने कहा l
मैं Grimm’s Fairy Tales में “द ग्लास कॉफिन” पढ़ रही थी, और कॉफिन [ताबूत] शब्द ने उसे घबरा दिया था l हममें से कई लोग अपने नश्वरता को स्मरण नहीं करना चाहते हैं l किन्तु वास्तविकता है कि1,000 लोगों में से सभी मरेंगे l
मृत्यु हमेशा हमारी गहरी भावनाएँ प्रगट करती हैं l यीशु ने अपने एक प्रिय मित्र के अंतिम संस्कार में गहरी भावनाएँ व्यक्त किए l उसने मरियम को जिसका भाई मर गया था देखकर, “आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ” (यूहन्ना 11:33) l एक और अनुवाद अनुसार, “वह अति क्रोधित हुआ l”
यीशु परेशान हुआ-क्रोधित भी-किन्तु किस पर? संभवतः,वह पाप और उसके परिणाम पर क्रुद्ध था l परमेश्वर ने बीमारी, पीड़ा, और मृत्यु भरा संसार नहीं बनाया था l किन्तु पाप ने परमेश्वर की योजना बिगाड़ दी l
प्रभु हमारे दुःख में हमारे साथ रोता है (पद.35) l किन्तु उससे अधिक, मसीह ने पाप और मृत्यु को पराजित किया (1 कुरिं. 15:56-57) l
यीशु प्रतिज्ञा करता है, “जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा” (यूहन्ना 11:25) l मसीह के विश्वासी अभी अपने उद्धारकर्ता की संगति का आनंद लेते हैं, और उसके साथ एक अनंत की आशा करते हैं जहाँ आँसू, दर्द, बीमारी, या मृत्यु न होगी l