पुराने नियम की पुस्तक 2 शमूएल के मुख्य विषय को सरलता से “जीवन गड़बड़ है!” कहा जा सकता है l इसमें एक सुपर हिट छोटे टीवी सीरियल के सभी अंश हैं l इस्राएल के राजा के तौर पर जब दाऊद ने अपना शासन स्थापित करना चाहा, उसने सैन्य चुनौतियों, राजनीतिक साजिश और मित्रों और परिजनों द्वारा विश्वासघात का सामना किया l और दाऊद भी दोषमुक्त नहीं था जैसे बतशेबा के साथ उसके रिश्ते में स्पष्ट है (अध्याय 11-12) l
फिर भी 2 शमूएल के अंत में हम दाऊद को परमेश्वर की करुणा, प्रेम, और छुटकारे का गीत गाते देखते हैं l “हे यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, और यहोवा मेरे अंधियारे को दूर करके उजियाला कर देता है” (22:29) l
अपने अनेक कठिनाइयों में, दाऊद प्रभु की ओर फिरा l “तेरी सहायता से मैं दल पर धावा करता, अपने परमेश्वर की सहायता से मैं शहरपनाह को फांद जाता हूँ” (पद.30) l
शायद हम भी दाऊद के संघर्षों में अपने को पाते हैं, क्योंकि वह हमारे समान, सिद्धता से दूर था l फिर भी वह जानता था परमेश्वर उसके जीवन के सबसे गड़बड़ हिस्से से महान था l
जब दाऊद कह सकता था, “ईश्वर की गति खरी है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है” (पद.31) l और उसमें हम भी शामिल हैं!
जीवन गड़बड़ है, किन्तु परमेश्वर गड़बड़ी से महान है l