एक छोटी लड़की सोचती थी कि एक संत कैसा होता है l एक दिन उसकी मां ने उसे एक बड़े चर्च में बाइबल के दृश्य वाले भव्य रंगीन कांच दिखाने ले गयी l उसकी ख़ूबसूरती देखकर वह चिल्लायी, “मुझे मालूम हो गया संत कौन है l वे ऐसे लोग हैं जो ज्योति को आरपार चमकने देते हैं!”
हममें से कुछ लोगों की सोच में संत अतीत के लोग हैं जिन्होंने सिद्ध जीवन व्यतीत किया और यीशु की तरह आश्चर्यकर्म किये l किन्तु जब वचन का कोई अनुवाद संत शब्द उपयोग करता है, वह मसीह में विश्वास द्वारा परमेश्वर के व्यक्ति का सन्दर्भ देता है l अर्थात्, संत हमारे सामान लोग हैं जिन्होंने परमेश्वर की सेवा की उच्च बुलाहट प्राप्त की है और हर समय और हर जगह उसके संग अपना सम्बन्ध दर्शाते हैं l इसलिए प्रेरित पौलुस की प्रार्थना थी कि उसके पाठकों की मन की आँखें ज्योतिर्मय हों, कि वे जाने कि पवित्र लोगों में उसकी मीरास की महिमा का धन कैसा है (इफि. 1:18) l
इसलिए हम दर्पण में क्या देखते हैं? कोई भी प्रभामंडल या रंगीन कांच नहीं l यदि हम अपनी बुलाहट को पूरी करते हैं, हम ऐसे लोग हैं जिन्होंने, जाने बिना, परमेश्वर का प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, दयालुता, कोमलता, विश्वासयोग्यता, और आत्म-संयम के रंग आरपार चमकने दे रहे हैं l