“मैं नहीं सोचती परमेश्वर भला है,” मेरी सहेली बोली l वर्षों तक कुछ कठिन बातों के लिए प्रार्थना करने पर भी कुछ नहीं सुधरा था l परमेश्वर की चुप्पी पर उसका क्रोध और कड़वाहट बढ़ गया था l मैं जानती थी, कि वह विश्वास करती थी परमेश्वर भला है, किन्तु सतत दुःख और परमेश्वर की प्रकट अरुचि से शंकित थी l उसके लिए क्रोधित होना सरल था l

परमेश्वर की भलाइयों पर शंका करना आदम और हव्वा की तरह पुराना है (उत. 3) l सर्प ने उस विचार को हव्वा के मन में डाला कि परमेश्वर उस फल से उसे वंचित रख रहा था क्योंकि “परमेश्वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे … तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे” (पद.5) l घमण्ड में, आदम और हव्वा ने परमेश्वर की बजाए अपनी भलाई के लिए खुद निर्णय लिया l

अपनी बेटी को खोने के वर्षों बाद, जेम्स ब्रायन स्मिथ ने परमेश्वर की भलाइयों को सही पाया l अपनी पुस्तक द गुड एंड ब्यूटीफुल गॉड में, उसने लिखा, “परमेश्वर की भलाइयों के विषय मुझे निर्णय नहीं करना है, मैं सीमित समझ वाला मानव हूँ l” स्मिथ का अद्भुत कथन कठिन है; यह वर्षों के दुःख सहन और परमेश्वर की इच्छा खोजने से आया है l

निराशा में, सच्चाई को जाने कि परमेश्वर भला है, और उसे परस्पर ध्यान से सुनकर मदद करें l