रूत विदेशी, विधवा, निर्धन थी l विश्व में उसे नाचीज़ कहा जाता-जिसका भविष्य आशाहीन था l
हालाँकि, रूत ने अपने मृत पति के एक समृद्ध सम्बन्धी, खेतों का मालिक जहां उसे सिल्ला बीनने की अनुमति मिली थी, के निगाहों में कृपादृष्टि प्राप्त की l रूत ने पूछा, “क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि करके मेरी सुधि ली है? (रूत 2:10) l
भला व्यक्ति, बोअज़ ने रूत पर कृपा करके सच्चाई से उत्तर दिया l उसने उन भले कामों के विषय सुना था जो उसने अपनी सास, नाओमी के साथ की थी और अपना देश छोड़कर नाओमी के परमेश्वर का अनुसरण किया था l बोअज़ ने प्रार्थना की कि परमेश्वर, “जिसके पंखों तले” तू शरण लेने आयी है, तुझे पूरा बदला देगा(1:16; 2:11-12; देखें भजन 91:4) l उसका सम्बन्धी छुड़ानेवाला होकर (रूत 3:9), बोअज़ ने रूत से विवाह करके उसको सुरक्षा देनेवाला और उसके प्रार्थना का एक भाग बना l
रूत की तरह, हम भी विदेशी और परमेश्वर से दूर हैं l हमें आश्चर्य होगा क्यों परमेश्वर हमारी योग्यता में हमसे प्रेम किया l उत्तर उसके पास है l “परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीती से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा” (रोमियों 5:8) l मसीह हमारा छुड़ानेवाला है l उद्धार द्वारा उसके पास आने पर, हम उसके सुरक्षादेनेवाले पंखों के नीचे हैं l