सी.एस. लुईस के नेमिया के इतिहास श्रृंखला में मुझे उसका कठोर छोटा बातूनी चूहा, रीपिचीप पसंद है l एस्लन सिंह [मसीह का प्रतीक] से मिलने के लिए, सुदूर पूरब जाने हेतु निश्चयी रीपिचीप अपना संकल्प बताता है : यदि मैं सक्षम रहूँगा, मैं डॉन त्रिडर से पूरब यात्रा करूँगा, उसके अक्षम होने पर, मैं अपनी छोटी नौका में पूरब जाऊँगा l उसके डूबने पर, मैं अपने पावों से पूरब की ओर तैरूँगा l तब, तैरने में अक्षम, और एस्लन का देश नहीं पहुँचने पर, मैं वहीँ पर सूर्य की रौशनी की ओर अपनी नाक करके डूब जाऊँगा l”

पौलुस ने दूसरी तरह से कहा : “निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ” (फ़िलि. 3:14) l उसका लक्ष्य यीशु के समान बनना था l और सब व्यर्थ था l उसने स्वीकारा कि उसे बहुत दूर जाना है किन्तु यीशु का उद्देश्य पाने तक उसे हार नहीं मानना था l

जो हमें बनना है हममें से कोई नहीं है, किन्तु हम बन सकते हैं, प्रेरित की तरह, आगे बढ़ते और प्रार्थना करते रहें l पौलुस की तरह हमेशा कहें, “यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूँ l” फिर भी, दुर्बलता, पराजय, और थकने के बावजूद हम आगे बढ़ सकते हैं (पद. 12) किन्तु सब परमेश्वर पर निर्भर है l हम उसके बिना कुछ नहीं कर सकते हैं!

परमेश्वर आपके साथ है, आगे बुला रहा है l पतवार खेते रहें !