मेरी सहेली, माइमा, दूसरे देश में यात्रा के दौरान, एक कलीसिया में गयी l उसने देखा कि लोग वेदी की ओर मुख करके तुरंत घुटने टेक कर प्रार्थना की l उसने जाना कि आराधना पूर्व लोग परमेश्वर के निकट अपने पाप माने l
दीनता के कार्य मेरे लिए भजन 51 में दाऊद के कथन की तस्वीर है : “टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता” (भजन 51:17) l दाऊद बथशेबा के साथ खुद के पाप के लिए पछतावा का वर्णन करता है l पाप के लिए वास्तविक दुःख का अर्थ परमेश्वर का दृष्टिकोण अपनाना है-उसे पूरी तौर से गलत मानकर, उससे घृणा करना, और उससे दूर रहना l
वास्तविक पाप स्वीकार करने पर, परमेश्वर हमें संभाल लेता है l “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” (1 यूहन्ना 1:9) l यह क्षमा उसके पास जाने का नया द्वार खोलता है और प्रशंसा का आदर्श आरंभ बिंदु है l दाऊद का पछतावा, और परमेश्वर द्वारा क्षमा कर दिए जाने पर, उसका प्रतिउत्तर था, “हे प्रभु, मेरा मूँह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूँगा” (भजन 51:15) l
परमेश्वर की पवित्रता के प्रति दीनता सही प्रतिउत्तर है l और प्रशंसा उसकी क्षमा के लिए हृदय का प्रतिउत्तर है l