चीनी दर्शनशास्त्री हैन फैजी ने जीवन के विषय यह अवलोकन किया : “तथ्य जानना सरल है l तथ्यों पर आधारित होकर कार्य करना जानना कठिन है l”

यह समस्या लेकर एक धनी व्यक्ति यीशु पास आया l वह मूसा की व्यवस्था जानता और मानता था (मरकुस 10:20) l किन्तु शायद सोचता था यीशु और कौन से तथ्य उसे बताएगा l “ ‘हे उत्तम गुरु, उसने पुछा, ‘अनंत जीवन का अधिकारी होने के लिए मैं क्या करूँ?’” (पद. 17) l

यीशु के उत्तर से धनी व्यक्ति निराश हुआ l उसने उसे अपनी संपत्ति बेचकर प्राप्त धन निर्धनों को बांटकर उसका अनुसरण करने को कहा (पद.21) l यीशु ने उस तथ्य को उजागर किया जो वह व्यक्ति सुनना नहीं चाहता था l वह यीशु की अपेक्षा अपने धन से प्रेम करता था और उस पर निर्भर था l यीशु के पीछे चलने के लिए धन की सुरक्षा का परित्याग एक महान जोखिम था, और वह उदास चला गया (पद.22) l

शिक्षक क्या सोच रहा था? उसके अपने चेले चोंक कर पूछे, “किसका उद्धार हो सकता है?? उसने उत्तर दिया, “मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है” (मरकुस 10:27) l इसमें साहस और विश्वास चाहिए l “यदि तू अपने मूँह से यीशु को प्रभु जानकार अंगीकार करे, और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा” (रोमियों 10:9) l