मैं एक खूबसूरत गर्म दिन में, एक पार्क में टहलते हुए आत्मा में बहुत थकित महसूस किया l केवल एक बात ही मुझे दबा नहीं रही थी-सब कुछ l जब मैं रुक कर बेंच पर बैठना चाहा, मैंने एक छोटा पटिया देखी जो “एक समर्पित पति, पिता, भाई, और मित्र” की प्रेममय याद में लगाया गया था l और उस पटिया पर ये शब्द भी अंकित थे, “परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएँगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे” (यशा. 40:31) l

ये परिचित शब्द प्रभु की ओर से व्यक्तिगत स्पर्श के रूप में मुझ तक आए l थकान-चाहे शारीरिक, भावनात्मक, या आत्मिक-सबके पास आती है l यशायाह याद दिलाता है कि यद्यपि हम श्रमित होते हैं, प्रभु, अनंत पिता, समस्त पृथ्वी का रचयिता “थकता [नहीं है] (पद.28) l मैं सरलता से कैसे भूल गया कि प्रत्येक स्थिति में “[प्रभु] थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ्य देता है” (पद. 29) l

आपकी यात्रा में यह कैसा है? यदि श्रम के कारण आप परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ्य भूल गए हैं, क्यों न रुक कर उसकी प्रतिज्ञा याद करें l “जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएँगे”(पद. 31) l यहाँ l अभी l जहाँ हम हैं l