दो लोग बैठकर अपने व्यवसायिक दौरे और उसके परिणाम की समीक्षा कर रहे थे l एक के अनुसार उनका दौरा लाभदायक था क्योंकि उनके व्यवसायिक सम्पर्कों से कुछ अर्थपूर्ण नए सम्बन्ध आरंभ हुए थे l दूसरे ने कहा, “सम्बन्ध अच्छे हैं, किन्तु विक्रय सबसे महत्वपूर्ण है l” स्पष्टतः दोनों के पास भिन्न विषय-कार्य सूचियाँ थीं l
यह सब सरल है-व्यवसाय, परिवार, या चर्च में-दूसरों को इस दृष्टिकोण से देखना कि किस प्रकार उनसे हमें लाभ मिलेगा l हमें उनसे क्या मिल सकता है, के लिए हम उनको महत्व देते हैं, न कि हम यीशु के नाम में उनकी किस प्रकार सेवा कर सकते हैं l फिलिप्पियों की पत्री में, पौलुस ने लिखा, “विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो, पर दीनता से एक दुसरे को अपने से अच्छा समझो l हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन् दूसरों के हित की भी चिंता करें” (फ़िलि. 2:3-4) l
लोगों का उपयोग हमारे अपने फायदे के लिए नहीं होना चाहिए l इसलिए कि उनको परमेश्वर प्रेम करता है और हमें प्रेम करता है, हम परस्पर प्रेम करते हैं l उसका प्रेम सबसे महान है l